कोर्ट ने कहा कि, दलील के तौर पर सेक्स वर्कर का उदाहरण दिया गया, लेकिन जिस तरह सेक्स वर्कर कभी भी ना कह सकती है तो क्या पत्नी को इससे नीचे रखा जा सकता है। वहीं एमिकस क्यूरी और वरिष्ठ वकील राजशेखर राव ने कहा कि कोई जबरदस्ती करता है, तो ‘सेक्स वर्कर्स’ को शख्स के खिलाफ आरोप लगाने का अधिकार है।
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उन्होंने आगे कहा, ‘इस बात में कोई शक नहीं है कि महिला ने भुगता है, लेकिन हमें उस व्यक्ति के परिणामों को ध्यान में रखना होगा, जो 10 साल की सजा के लिए उत्तरदायी है। उन्होंने कि, ‘मैं फिर दोहरा रहा हूं कि धारा 375 प्रावधान यह नहीं करता कि रेप पर सजा नहीं मिलनी चाहिए। सवाल यह है कि क्या इसे बलात्कार की तरह सजा दी जानी चाहिए?’
उन्होंने ये भी कहा कि इस बात पर अगर हम राजी है तो ये भी ध्यान रखना होगा कि हम एक विधायी प्रावधान को खत्म कर हां कह रहे हैं। और हम यह कह रहे हैं कि 375 में शामिल हर चीज लागू होनी चाहिए, फिर भले ही पार्टियां आपस में शादीशुदा क्यों न हों।
इसपर राव ने तर्क दिया कि बलात्काकर, बलात्कार होता है और बलात्कारी, बलात्कारी रहता है। ऐसे में कोई भी तर्क सच्चाई को बदल नहीं सकता। इसके साथ ही राव ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि कोर्ट लगातार ये कहता आया है कि दुष्कर्म महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करता है। ऐसे में ये समाज के खिलाफ अपराध है।