अस्पताल को गरीब का डायलिसिस करने का आदेश
Published: Feb 27, 2015 05:16:00 am
दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के
एक अस्पताल को निर्देश दिया है कि वह दोनों गुर्दे खराब होने से पीडित दिहाड़ी
मजदूर को हीमोडायलिसिस और अन्य चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के एक अस्पताल को निर्देश दिया है कि वह दोनों गुर्दे खराब होने से पीडित दिहाड़ी मजदूर को हीमोडायलिसिस और अन्य चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराए।
न्यायालय ने दोनों किडनी खराब होने से पीडित एक दिहाड़ी मजदूर की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। न्यायालय ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है।
29 वर्षीय नागेंद्र प्रसाद के कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) कोष में पर्याप्त राशि न होने के कारण अस्पताल ने उसका इलाज करने से मना कर दिया था।
ईएसआईसी के बीमित मरीज के तौर पर नागेंद्र का वर्ष 2012 से ही भगवती अस्पताल में नियमित हीमोडॉयलिसिस चल रहा था। यहां उसका हफ्ते में तीन बार डॉयलिसिस होता था। अस्पताल ने फरवरी 2011 में यह कहते हुए उसका इलाज करना बंद कर दिया कि उसके ईएसआईसी खाते में पर्याप्त राशि नहीं है।
न्यायाधीश राजीव शकधर ने इस मामले में ईएसआईसी और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और भगवती अस्पताल से सात अप्रेल तक जवाब मांगा है।
अदालत ने अपने बुधवार को दिए गए फैसले में कहा कि इस मामले में जांच की आवश्यकता होगी। परिस्थितियों के आधार पर नजर आ रहा है कि याचिकाकर्ता अपनी बीमारी के कारण काम पर जाने में असमर्थ था। काम पर न जाने के कारण उसके ईएसआईसी खाते में पैसा आना बंद हो गया।
न्यायालय ने कहा कि एक मायने में इस मामले में एक परिस्थिति दूसरे पर निर्भर है। इसीलिए विचार करने वाली स्थिति यह है कि ईएसआईसी सूची में शामिल कोई अस्पताल क्या ऎसी परिस्थितियों में चिकित्सा सुविधाओं को बीच में रोक सकती है।
न्यायालय ने अस्पताल से इस मामले में उसके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताने के लिए कहा है। केंद्र को भी यह सुनिश्चित करना है कि क्या प्रसाद को सरकारी अस्पताल में जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं।
न्यायालय ने कहा कि तब तक भगवती अस्पताल याचिकाकर्ता को हीमोडॉयलिसिस सहित सभी जरूरी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। याचिकाकर्ता के वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि ईएसआईसी कानूनी तौर पर बीच में इलाज से हाथ नहीं खींच सकता, और उसे मरने के लिए नहीं छोड़ सकता।