scriptपति की ‘मर्दानगी’ पर शक करना, साबित करने के लिए मेडिकल टेस्ट कराने के लिए मजबूर करना ‘मानसिक क्रूरता’: दिल्ली हाईकोर्ट | delhi high court says alligation about manhood of husband and take him to impotency test id mental cruelty by wife | Patrika News
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पति की ‘मर्दानगी’ पर शक करना, साबित करने के लिए मेडिकल टेस्ट कराने के लिए मजबूर करना ‘मानसिक क्रूरता’: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि पति की मर्दानगी के बारे में उसकी पत्नी द्वारा आरोप लगाना, जांच कराना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आएगा।

Dec 26, 2023 / 04:04 pm

Paritosh Shahi

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दिल्ली उच्च न्यायलय ने पति-पत्नी के विवाद को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। कोर्ट ने कड़े लहजे में कहा कि किसी महिला का अपने पति पर यह आरोप लगाना कि दफ्तर की महिला संग उसके अफेयर है, यह किसी मानसिक क्रूरता से कम नहीं है। अदालत ने आगे यह भी कहा कि अगर कोई महिला अपने पति की मर्दानगी पर सवाल उठाती है, उसे नपुंसक कहती है और मेडिकल टेस्ट के लिए मजबूर करती है, तो वह भी मानसिक क्रूरता है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने कहा कि दहेज की मांग, विवाहेतर संबंधों के आरोपों के साथ पति को नपुंसकता परीक्षण कराने के लिए मजबूर करना और उसे महिलावादी करार देना मानसिक पीड़ा के लिए पर्याप्त है।

 

निष्कर्ष क्या निकला

इस मामले को लेकर अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि सार्वजनिक रूप से जीवनसाथी की छवि खराब करने वाले लापरवाह, अपमानजनक और निराधार आरोप लगाना अत्यधिक क्रूरता का कार्य है। यह फैसला एक महिला द्वारा दायर अपील के जवाब में आया, जिसमें क्रूरता के आधार पर अपने पति को तलाक देने के पारिवारिक अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी।

मामला जानिए

2000 में शादी करने वाले इस जोड़े का एक बेटा है, लेकिन शुरुआत से ही विवाद पैदा हो गए। पति ने आरोप लगाया कि पत्नी ने दहेज की मांग, विवाहेतर संबंध और नपुंसकता सहित झूठे आरोप लगाए। पत्नी ने इन दावों को चुनौती दी। अदालत ने सबूतों पर विचार करते हुए पाया कि पति क्रूरता के कृत्यों का शिकार था, इससे वह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक का हकदार हो गया। फैसले में मानसिक स्वास्थ्य पर ऐसे आरोपों के प्रभाव पर जोर दिया गया और विवाह के भीतर सार्वजनिक उत्पीड़न और अपमान की निंदा की गई।

पति को परेशान होना पड़ा

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, “दुर्भाग्य से, यहां एक ऐसा मामला है जहां पति को अपनी पत्नी द्वारा सार्वजनिक रूप से परेशान, अपमानित और मौखिक रूप से हमले का शिकार होना पड़ा है। पति पर आरोप लगाने वाली महिला कार्यालय की बैठकों के दौरान भी कार्यालय कर्मचारियों/मेहमानों के सामने बेवफाई के आरोप लगाने की हद तक चली गई थी। यहां तक कि उसने उनके कार्यालय की महिला कर्मियों को भी परेशान करना शुरू कर दिया और कार्यालय में उन्हें एक महिलावादी के रूप में चित्रित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह व्यवहार प्रतिवादी/पति के प्रति अत्यधिक क्रूरता का कार्य है।”

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