न्यायमूर्ति ए. के. पाठक ने आप की मांग ठुकराते हुए कहा कि चुनाव से ठीक पहले आखिरी समय में अब कुछ नहीं किया जा सकता। उच्च न्यायालय ने हालांकि इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग और दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग से शुक्रवार तक जवाब देने के लिए कहा है। मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार को ही होगी।
अदालत ने कहा कि न तो हम मतदान पर रोक लगा सकते हैं और न ही उन ईवीएम मशीनों के उपयोग का आदेश जारी कर सकते हैं, जो यहां हैं ही नहीं। गौरतलब है कि आप के प्रत्याशी मोहम्मद ताहिर हुसैन ने मंगलवार को 23 अप्रैल को होने वाले दिल्ली निकाय चुनाव में दूसरी पीढ़ी की ईवीएम मशीनों और वीवीपीएटी तकनीक के इस्तेमाल की मांग लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
जिसके बाद सुनवाई के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग के वकील सुमीत पुष्करण ने आप की याचिका का यह कहकर विरोध किया कि एमसीडी चुनाव 23 अप्रैल को होने हैं और चार दिन के अंदर सभी ईवीएम मशीनों को वीवीपीएटी वाली मशीनों से बदलना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 में इस्तेमाल हुई ईवीएम मशीनें ही निकाय चुनाव में इस्तेमाल हो रही हैं, जिसमें भारी बहुमत के साथ आप दिल्ली की सत्ता में आई थी।
तो वहीं आप और हुसैन की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि निर्वाचन आयोग वीवीपीएटी को सपोर्ट करने वाली ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल करने के लिए बाध्यकारी है, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने 2013 में दिए फैसले में दूसरी पीढ़ी की ईवीएम मशीनों को सर्वाधिक सुरक्षित कहा है।
ईवीएम के सुरक्षा फीचर पर सवाल उठाते हुए जयसिंह ने कहा कि हाल ही में राजस्थान की धौलपुर विधानसभा सीट पर उप-चुनाव के लिए हुए मतदान के दौरान ईवीएम मशीनों के साथ गंभीर छेड़छाड़ का मामला सामने आया, चाहे आप जिस भी बटन को दबाएं वोट भाजपा को ही जा रहा था।
गौरतलब है कि पिछले दिनों पांच राज्यों में हुए चुनाव के दौरान पहली बार इस्तेमाल की गई वीवीपीएटी तकनीक के तहत मतदान करने पर एक पर्ची निकलती है, जिससे मतदाता इस बात की पुष्टि कर सकता है कि उसने जिसे भी अपना मत दिया है उसी को वोट पड़ा है।
हालांकि पर्ची मतदाता को नहीं मिलती और वहीं रखे एक बॉक्स में जमा हो जाती है। जिसे लेकर आप और कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बिना वीवीपीएटी वाली ईवीएम मशीनों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है।