जांच एजेंसियों के मुताबिक, सरकार के इस फैसले से आतंकियों की फंडिंग पर शिकंजा कसा है। इसकी वजह से ही दिसंबर में घाटी में आतंकवाद से जुड़ी हिंसा की घटनाओं में 60 फीसदी की कमी आई है। इस महीने यहां सिर्फ एक बम धमाका हुआ। इसके अलावा, नोटबंदी की वजह से नक्सली गतिविधियों पर भी चोट पहुंची है। वहीं, भारत में हवाला एजेंट्स के कॉल ट्रैफिक में भी 50 फीसदी की कमी आई है।
एक अंग्रेजी अखबार के इंटरव्यू में एक अफसर ने बताया कि पाकिस्तान अपने क्वेटा स्थित सरकारी प्रेस और कराची के एक प्रेस में जाली भारतीय करंसी छापता रहा है। नोटबंदी के बाद पाकिस्तान के पास जाली नोटों की फैक्ट्री बंद करने के अलावा कोई और दूसरा चारा नहीं बचा। एजेंसियों की पड़ताल में यह पता चला है।
एजेंसियों के मुताबिक, नोटबंदी के बाद से वामपंथी उग्रवाद में भी कमी आई। माओवादी कार्यकर्ताओं समर्थकों से लगभग 90 लाख रुपए जब्त किए जा चुके हैं। नोटबंदी के बाद से कई माओवादियों ने दबाव में आकर सरेंडर भी किया ऐसा एजेंयिसों का मानना है। इसके अलावा नॉर्थ ईस्ट ने आतंकी संगठन पर भी नोटबंदी का प्रभाव पड़ा। वे लोग पैसों की कमी के चलते सीमा पार से बंदूकें और गोला-बारूद नहीं खरीद पा रहे।
बता दें कि 8 नवंबर 2016 को पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था। उन्होंने 500 और 1000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। अपने संबोधन में उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए जाली नोटों के कारोबार पर लगाम कसे जाने की जरूरत पर जोर दिया था।