व्यापम घोटाला: एसआईटी के रुख से निराश हैं दिग्विजय
Published: Apr 15, 2015 11:00:00 am
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बहुचर्चित व्यापम मामले में बुधवार को
इस मामले की जांच की निगरानी कर रही विशेष जांच दल (एसआईटी) के रूख का
जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें इससे बेहद निराशा हुई है और वह अपने अगले कदम
के तौर पर यह मामला राष्ट्रपति के समक्ष ले जाएंगे।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बहुचर्चित व्यापम मामले में बुधवार को इस मामले की जांच की निगरानी कर रही विशेष जांच दल (एसआईटी) के रूख का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें इससे बेहद निराशा हुई है और वह अपने अगले कदम के तौर पर यह मामला राष्ट्रपति के समक्ष ले जाएंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि व्यापम मामले में उन्होंने शपथ पत्र के साथ प्रमाण और शिकायत एसआईटी के समक्ष पेश करके संबंधित दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी।
अनेक पत्र लिखने के बावजूद एसआईटी ने कोई कार्रवाई नहीं की और आज इस मुद्दे को लेकर असमर्थता जाहिर की। उन्होंने कहा कि एसआईटी पहले काफी उत्साहित नजर आ रही थी लेकिन अब असमर्थता जता रही है।
इस रूख से वह बेहद निराश हुए हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि वह इस मामले को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय भी ले जा चुके हैं।
उच्च न्यायालय के निर्देश पर ही एसआईटी का गठन हुआ और वह इस मामले की जांच कर रहे राज्य पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की जांच प्रक्रिया की निगरानी कर रही है।
उन्होंने कहा कि हमारी ओर से व्यापम मामले में एक पत्र राजभवन में राज्यपाल के नाम भेजा गया है। लेकिन राज्यपाल के खिलाफ व्यापम मामले में खुद भी प्राथमिकी दर्ज हैं इसलिए अब उन्हें इस मामले में राष्ट्रपति से उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के पास भी मामला नहीं बनने पर वह कठोर कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा कि वह कठोर कदम का खुलासा उचित समय पर करेंगे।
इसके साथ ही उन्होंने इस मामले की एसटीएफ जांच में वास्तविक दोषियों के सामने आने पर फिर से संदेह जताते हुए कहा कि इसके अधिकारियों की गोपनीय चरित्रावली मुख्यमंत्री लिखते हैं।
ऐसे में मुख्यमंत्री के खिलाफ ही उनके मातहत अधिकारी निष्पक्ष जांच कैसे कर सकते हैं। सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि व्यापम मामले में मुख्यमंत्री और उनके परिजनों के खिलाफ प्रमाण समेत दस्तावेज उन्होंने एसआईटी को सौंपे हैं लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं होने से उन्हें निराशा हाथ लगी है।
उन्होंने स्वीकार किया कि एसटीएफ की ओर से उन्हें उनके समक्ष उपस्थित होने का पत्र मिला था लेकिन उन्होंने अपने अधिवक्ता की राय के बाद एसटीएफ की बजाए एसआईटी के समक्ष उपस्थित होने का निर्णय लिया।
सिंह ने कहा कि एसटीएफ के अधिकारी की ओर से उन्हें एक पत्र मिला है जिसमें एक सप्ताह के अंदर अधिकारी ने उनके आवास पर आकर मुलाकात करने की बात कही है।
सिंह ने संभावना जताई कि वह 23 अप्रैल को संबंधित अधिकारी को अपने आवास पर बुलाकर चर्चा करेंगे।
इस बीच वर्ष 1993 से 2003 के बीच उनके मुख्यमंत्रित्व काल में विधानसभा में हुयी फर्जी नियुक्तियों के संबंध में यहां के जहांगीराबाद थाने में उनके समेत 19 लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि सरकार चाहे तो उन्हें गिरफ्तार भी कर सकती है।
लेकिन वह व्यापम के खिलाफ अपनी लड़ाई अंतिम दम तक लड़ेंगे। उन्होंने बताया कि इन नियुक्तियों के बारे में वह पुलिस के समक्ष अपनी बात रखने तैयार हैं।