इसके साथ ही FAIMA ने कहा कि प्रसूति और स्त्री रोग विभाग सबसे व्यस्त विभागों में से एक है, जिसमें एक दिन में 100 से अधिक प्रसव होते हैं। वहीं कई बार प्रसूति वार्ड के लेबर रूम में भी दो या तीन गर्भवती माताओं बिस्तर देखा जाता है। FAIMA ने बताया कि इस घटना वाले दिन अस्पताल में सिर्फ 6 डॉक्टर थे, जिन्होंने कुल 101 प्रसव कराए।
हमें बलि का बकरा मत बनाओ
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अश्विनी डालमिया ने इस मामले में मुखर होते हुए कहा कि हमेशा की तरह सभी प्रशासनिक खामियों के लिए डॉक्टरों को दोषी ठहराया जाता है। सफदरजंग अस्पताल मामले में डॉक्टरों को बलि का बकरा मत बनाओ।
भारत में स्वास्थ्य सेवा की दयनीय स्थिति
सफदरजंग अस्पताल मामले में दिल्ली के अलावा डॉक्टरों को चंडीगढ़ में पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च से भी समर्थन मिला। रेजिडेंट डॉक्टरों के संघ ने पत्र लिखते हुए कहा कि जो हुआ वह भारत में स्वास्थ्य सेवा की दयनीय स्थिति को दर्शाता है। इसके साथ ही हमारी कल्पना से परे है कि ट्रेनी और इटर्न को क्यों जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।