DRDO की ओर से इस मौके पर जानकारी दी गई कि इस सिस्टम को पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। इसके साथ ही भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ेगी।
यह भी पढ़ेँः भारत की बढ़ेगी सैन्य शक्ति, देश के पहले न्यूक्लियर मिसाइल ट्रैकिंग जहाज INS ध्रुव की लॉन्चिंग आज ओडिशा के बालासौर तट पर परीक्षण के दौरान इस मिसाइल की पूरी क्षमता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया। इस प्रणाली को टॉरपीडो की पारंपरिक सीमा से कहीं ज्यादा लंबी रेंज में तैयार किया गया है, जो पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है।
दरअसल सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड टॉरपीडो एक तरह का सुपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल है, जिसमें मिसाइल के फीचर्स भी हैं और पनडुब्बी को नष्ट करने की ताकत भी। ये है SMART की खूबियां
– यह एक तरह की सुपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल है।
– इसके साथ एक कम वजन का टॉरपीडो लगा है जो पेलोड की तरह इस्तेमाल होता है।
– दोनों मिलकर इसे एक सुपरसोनिक एंटी-सबमरीन मिसाइल बना देते हैं यानी इसमें मिसाइल के फीचर्स के साथ-साथ पनडुब्बी नष्ट करने की क्षमता भी।
– पूरी तरह तैयार होने पर इसकी रेंज 650 किलोमीटर होगी।
– स्मार्ट की रेंज वाली प्रणाली भारतीय नौसेना को दुनिया की सबसे खतरनाक नौसेनाओं की सूची में ऊपरी पायदान पर पहुंचा देगा।
– यह एक तरह की सुपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल है।
– इसके साथ एक कम वजन का टॉरपीडो लगा है जो पेलोड की तरह इस्तेमाल होता है।
– दोनों मिलकर इसे एक सुपरसोनिक एंटी-सबमरीन मिसाइल बना देते हैं यानी इसमें मिसाइल के फीचर्स के साथ-साथ पनडुब्बी नष्ट करने की क्षमता भी।
– पूरी तरह तैयार होने पर इसकी रेंज 650 किलोमीटर होगी।
– स्मार्ट की रेंज वाली प्रणाली भारतीय नौसेना को दुनिया की सबसे खतरनाक नौसेनाओं की सूची में ऊपरी पायदान पर पहुंचा देगा।
बता दें कि देश के पास वरुणास्त्र नामक एक पनडुब्बी रोधी टॉरपीडो पहले से है। ये ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम ( GPS ) पर बेस्ड है। इसकी मदद से अपने लक्ष्य को भेदने में मदद मिलती है। हालांकि टॉरपीडो स्मार्ट इसकी तुलना में और हल्की है। ऐसे में इसे लाना ले जाना भी बाकियों की तुलना में आसान होगा।
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72 घंटे के अंदर डीआरडीओ और वायु सेना ने दोहरी सफलता हासिल की है। दो दिन पहले स्वदेश में तैयार और विकसित टैंक रोधी मिसाइल का भी सफल टेस्ट किया गया था।
हालांकि ये परीक्षण राजस्थान के पोखरण रेंज में हुआ था। इस टैंक रोधी मिसाइल की खास बात यह है कि इसे हेलिकॉप्टर से लॉन्च किया जा सकता है। स्वदेशी हथियार प्रणालियों का हाल के समय में यह तीसका परीक्षण था।
72 घंटे के अंदर डीआरडीओ और वायु सेना ने दोहरी सफलता हासिल की है। दो दिन पहले स्वदेश में तैयार और विकसित टैंक रोधी मिसाइल का भी सफल टेस्ट किया गया था।
हालांकि ये परीक्षण राजस्थान के पोखरण रेंज में हुआ था। इस टैंक रोधी मिसाइल की खास बात यह है कि इसे हेलिकॉप्टर से लॉन्च किया जा सकता है। स्वदेशी हथियार प्रणालियों का हाल के समय में यह तीसका परीक्षण था।