गौरतलब है कि भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनकी पहली मांग ये थी कि जनप्रतिनिधियों, नौकरशाहों और न्यायपालिका से जुड़े लोगों के आपराधिक मुकदमे एक साल के भीतर निपटाने के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जाए और दोषी ठहराए गए लोगों को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के लिए अयोग्य माना जाए। दूसरी मांग है कि चुनाव सुधार से संबंधित विधि आयोग और संविधान समीक्षा आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए।
आयोग ने अपने हलफनामे में कहा है कि वह जनहित याचिका में की गई पहली और दूसरी मांग का समर्थन करता है। अश्विनी कुमार ने तीसरी मांग भी की थी पर चुनाव आयोग ने उसे विधायिका का मामला बताया। अश्विनी कुमार की तीसरी मांग चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा को लेकर थी।