चुनाव आयोग ने जानकारी दी कि, ‘विधानसभा चुनावों के लिए, उम्मीदवारों के लिए संशोधित व्यय सीमा 28 लाख रुपये से बड़े राज्यों के लिए 40 लाख रुपये तक तय किए गए हैं। छोटे राज्यों के लिए ये सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर28 लाख रुपये और बड़े राज्यों के लिए 28 से 40 लाख कर दिया गया है। हैं। नई व्यय सीमा आगामी सभी चुनावों में लागू होगी।’
चाय-नाश्ते से लेकर कोल्डड्रिंक तक के लिए खर्च सीमा तय
नए चार्ट के मुताबिक एक उम्मीदवार के लिए चार पूरी सब्जी और एक मिठाई के लिए 37 रुपये प्रति प्लेट है। एक समोसा और एक कप चाय 6-6 रुपये खर्च कर सकता है। छोटी सभा के लिए 16 रुपये प्रति मीटर की फूलों की माला खरीदने की अनुमति है। इसके अलावा एक उम्मीदवार तीन ढोल वालों को प्रतिदिन 1,575 रुपये दिहाड़ी देकर बुला सकते हैं।
-होटल में रुकने के लिए कमरे का किराया 1100 से 1800 रुपये।
-जेनरेटर का खर्च 506 रुपये प्रतिदिन, बाल्टी 4 रुपये प्रति नग, ट्यूबलाइट 60 रुपये, खाना 120 रुपये प्रति व्यक्ति है
-कोल्डड्रिंक 90 रुपये प्रति दो लीटर होगा।
बता दें कि जिन वाहनों का प्रत्याशी और उनके कार्यकर्ता इस्तेमाल करते हैं वो भी चुनाव खर्च में ही गिना जाता है।
-BMW और मर्सिडीज जैसी लग्जरी कारों का किराया 21,000 रुपये प्रति दिन होगा।
-SUV मित्सुबिशी पजेरो स्पोर्ट के लिए अधिकतम 12,600 रुपये प्रति दिन किराया होगा।
-चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने वाले लाउडस्पीकर का किराया 1900 रुपये प्रति दिन है।
चुनावी खर्च की सीमा बढ़ाने का क्या कारण है?
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के लिए मौजूद खर्च सीमा बढ़ाने के पीछे मतदाताओं की संख्या में हुई बढ़तोरी का हवाला दिया है। मतदाताओं की संख्या 2014-2021 तक में 834 मिलियन से बढ़कर 936 मिलियन (12.23% तक) हो गई है।
चुनावी खर्च की सीमा को बढ़ाना मतलब मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च को वैध बनाना है।
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