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देश के सबसे शिक्षित राज्य में चपरासी के लिए कतार में लगे इंजीनियर, घंटो लाइन में लगकर दे रहें टेस्ट

  Engineers queuing for peon jobs: देश के सबसे शिक्षित राज्य केरल के एर्नाकुलम में चपरासी की नौकरी के लिए कई इंजीनियर और बीटेक डिग्रीधारक खड़े थे।

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 engineers queuing up for peon jobs in Kerala standing for giving test

देश के सबसे शिक्षित राज्य केरल के एर्नाकुलम में सरकारी कार्यालयों में चपरासी की नौकरी के लिए बेरोजगार युवाओं की कतार लगी थी। योग्यता सातवीं पास थी। लेकिन लाइन में कई इंजीनियर और बीटेक डिग्रीधारक खड़े थे। चपरासी के लिए साइकिल टेस्ट देने पहुंचे एक इंजीनियर ने कहा, यह सुरक्षित नौकरी है, जिसमें लगातार गाड़ी चलाने या फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जैसे कोई जोखिम नहीं है। इसमें नौकरी जाने का खतरा भी नहीं है।

साइकिल चलाने का टेस्ट देने पहुंचे

हैरानी की बात ये है कि साइकिल अब इस सेवा में परिवहन का साधन नहीं है, फिर भी ये नियम नहीं बदला। 101 उम्मीदवारों ने साइकिल चलाने का टेस्ट पास किया। वहीं, इससे इतर बात करें तो केरल में सबसे ज्यादा साक्षरता दर है। यह राज्य पिछले कई सालों से पढ़ाई-लिखाई के मामले में नंबर वन है। यहां की साक्षरता दर 92 फीसदी से भी अधिक है। इसके बाद अन्य राज्यों का नंबर आता है।

केरल में चपरासी की सैलरी 23,000

केरल में एक चपरासी का मूल वेतन लगभग 23,000 रुपये प्रति माह है। साइक्लिंग टेस्ट के लिए आए कई बी.टेक धारकों के लिए सरकारी कार्यालय में एक छोटी सी नौकरी कम जोखिम भरी और अधिक सुरक्षित है। ऑनलाइन फूड डिलीवरी सेवाएं या बड़ी टेक कंपनियों में लगभग 11,000 रुपये प्रति माह पर नौकरी करने की तुलना में यह काफी बेहतर है. कोच्चि के निवासी के प्रशांत के पास बैंकिंग में डिप्लोमा है और वह एक कैफे चलाते हैं. उन्होंने कहा कि ‘अगर हमें केएसईबी (राज्य की बिजली कंपनी) में तैनात किया जाता है, तो वेतन और भी अधिक 30,000 रुपये से ऊपर होगा।’

बढ़ती जनसंख्या के साथ ही देश में बढ़ रही बेरोजगारी

बता दें कि बढ़ती जनसंख्या के साथ ही देश में बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इतनी बड़ी आबादी को उसकी योग्यता के आधार पर नौकरी उपलब्ध कराना संभव भी नहीं है। नौकरी नहीं मिलने की वजह से आए दिन तमाम युवा डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। इस वजह से घर चलाने के लिए उन्हें मजबूरी में कोई भी काम करना पड़ता है। ज्यादातर युवा सिक्योर जॉब की तलाश में रहते हैं, लेकिन जैसे -से समय बीतता जाता है और नौकरी नहीं मिलती तो उनकी हताशा बढ़ती जाती है।

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