न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने याचिका खारिज करने और जुर्माना लगाने के बाद कहा कि “अब लोग इस तरह की जनहित याचिका दायर करने से पहले कम से कम चार बार सोचेंगे।” इसके साथ ही कोर्ट ने दलाई को आदेश दिया कि चार हफ्ते के अंदर जुर्माने को जमा करें।
पीठ ने कहा कि “आप चाहें तो उन्हें परमात्मा मान सकते हैं, लेकिन हम इसे दूसरों पर क्यों थोपें? देश में सबको पूरा अधिकार है, जिसको जो धर्म मानना है माने। जिसको जो भगवान मानना है मांने।” इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम ये लेक्चर सुनने नहीं आए हैं कि हम सेक्युलर देश हैं।