बचे मंत्रियों में सभी हैं MLC शिवसेना के अन्य कैबिनेट मंत्रियों में सुभाष देसाई और अनिल परब शामिल हैं जो राज्य परिषद से हैं। एक अन्य कैबिनेट मंत्री शंकरराव गंडख क्रांतिकारी शेतकारी से चुने गए।
शिंदे खेमे में पहुंचे 9 मंत्री दूसरी ओर, विद्रोही खेमे के 9 मंत्रि और 30 विधायक शामिल हैं। बागी हो चुके विधायक मंत्रियों के नाम इस प्रकार हैं – 1.एकनाथ शिंदे, शहरी विकास और लोक निर्माण मंत्री
2. दादाजी भूसे, कृषि मंत्री 3. गुलाबराव पाटिल, जल आपूर्ति और स्वच्छता मंत्री 4. संदीपन भुमरे, रोजगार गारंटी और बागवानी मंत्री 5. उदय सामंत, उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री 6. शंभूराज देसाई, गृह राज्य मंत्री (ग्रामीण) के साथ वित्त और योजना, राज्य उत्पाद शुल्क, विपणन, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री
7. अब्दुल सत्तार, राजस्व, ग्रामीण विकास, बंदरगाह, खार भूमि विकास और विशेष सहायता राज्य मंत्री 8. राजेंद्र पाटिल यद्रवकर, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, कपड़ा, संस्कृति मामलों के राज्य मंत्री
9. बच्चू कडू, जल संसाधन (सिंचाई) और कमान क्षेत्र विकास, स्कूल शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, श्रम, ओबीसी-एसईबीसी-एसबीसी-वीजेएनटी कल्याण राज्य मंत्री इसके अलावा शिंदे खेमे में प्रहार जनशक्ति के दो विधायक और सात निर्दलीय समेत शिवसेना के 30 और विधायकों के समर्थन का दावा किया है। दूसरी ओर, राज्य विधानसभा में कुल 55 विधायकों में से केवल 16 विधायक ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के पास बचे हैं।
शिवसेना भवन क्षेत्र का विधायक भी बागी इसके पहले बुधवार 22 जून को शिंदे खेमे में शामिल होने वालों में माहिम विधायक सदा सर्वंकर भी शामिल थे। सदा सर्वंकर का दलबदल इस बात का संकेत माना जा रहा है कि शिवसेना नेतृत्व के प्रति नाराजगी कितनी गहरी है। सर्वंकर प्रतिष्ठित माहिम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। यह सीट शिवसेना के लिए बेहद खास है। दरअसल शिवसेना भवन और शिवाजी पार्क भी माहिम निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं जहां बाला ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना की थी।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि शिंदे खेमे से सरवनकर का जाना नेतृत्व के खिलाफ विधायकों के बीच असंतोष को दर्शाता है, खासकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उद्धव के बेटे, पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे के प्रति अंसतोष। उनकी कार्यशैली के प्रति असंतोष। यह ठाकरे के विधायकों के साथ-साथ पार्टी में युवा सेना (Youth Shiv Sainik Unrest) के नेताओं के उदय के खिलाफ बढ़ते असंतोष को भी उजागर करता है।
शिवसेना का दिल है दादर
“सर्वंकर का बाहर निकलना बहुत महत्वपूर्ण बताया जा रहाद है। वह दादर से हैं जो शिवसेना का दिल या नब्ज है। अगर दादर का एक विधायक नाखुश है और अब नेतृत्व के साथ नहीं रहना चाहता है, तो यह दिखाता है कि सीएम के खिलाफ कितना असंतोष था। वैसे भी बागी खेमे का आरोप है कि सीएम को एक ऐसे गुट या भीड़ ने घेर लिया, जिसने विधायकों को उनके पास नहीं पहुंचने दिया। क्या कोई कल्पना करेगा कि दादर से विधायक होने के नाते, सर्वंकर की भी सीएम तक पहुंच नहीं थी। लेकिन अब उनका जाना इस बात का संकेत है कि वह भी आइसोलेशन में थे।बता दें, मुंबई में शिवसेना के 13 विधायक हैं, जिनमें से आदित्य को छोड़कर किसी को भी एमवीए सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया था। वहीं अनिल परब और सुभाष देसाई जैसे एमएलसी को मंत्री बनाया गया।
सीएम खुद हैं MLC शिवसेना ने उद्धव ठाकरे को मुंबई से राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में खड़ा किया था। सीएम पद की शपथ लेने के बाद सीएम ठाकरे खुद एमएलसी बन गए। अब मुंबई के कम से कम तीन अन्य विधायक – प्रकाश सुर्वे (मगथाने), मंगेश कुडलकर (कुर्ला) और यामिनी जाधव (भायखला) ने भी उद्धव खेमे का साथ छोड़ दिया है, जो बीएमसी चुनावों में शिवसेना को नुकसान पहुंचा सकता है।