एक कार्यक्रम में एक बातचीत के दौरान पुरी ने कहा कि मौजूदा संसद भवन के निर्माण के समय यह भूकंपीय क्षेत्र II में था, लेकिन यह क्षेत्र अब भूकंपीय क्षेत्र IV में है, जो उच्च क्षति जोखिम क्षेत्र है।
पुरी ने कार्यक्रम में कहा, “जब इमारत का निर्माण किया गया था, यह भूकंपीय क्षेत्र II में आता था और आज, वह क्षेत्र भूकंपीय क्षेत्र IV में है। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है। हम दहशत पैदा नहीं करना चाहते हैं, लेकिन आप जानते हैं कि आप सीमा से ऊपर हैं।”
केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री ने आगे साफ किया कि मौजूदा इमारत ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता का काउंसिल हाउस था और इसे कभी भी संसद के रूप में डिजाइन नहीं किया गया था। उन्होंने भारत की आजादी के बाद से सांसदों की बढ़ती संख्या की ओर भी इशारा किया। संसदीय सीटों का अगला परिसीमन 2026 में होगा, जिसका आधार 2021 की जनगणना के आंकड़े होंगे।
पुरी ने कहा, “एक स्वतंत्र देश बनने के बाद से सदस्यों (सांसदों) की संख्या बढ़ रही है। इसलिए, बहुत सारे आंतरिक समायोजन हुए हैं और नई सुविधाएं जोड़ी गई हैं… विशुद्ध रूप से संरचनात्मक दृष्टिकोण से, यह एक असुरक्षित इमारत है।”
उपराष्ट्रपति का एन्क्लेव और नया संसद भवन मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना के तहत बनने वाले पहले भवन होंगे। सेंट्रल विस्टा के सुधार की कुल अनुमानित लागत लगभग 20,000 करोड़ रुपये है। महामारी के बीच सेंट्रल विस्टा परियोजना पर सैकड़ों करोड़ खर्च करने के लिए विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना की है। लेकिन पुरी ने जोर देकर कहा कि नए संसद भवन का निर्माण और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का पुनर्विकास समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।