PFI पर विदेशों से सहायता प्राप्त करते हुए देश में टेरर मॉड्यूल तैयार करने, सिमी सहित कई आतंकी संगठन के साथ संबंध होने, संवेदनशील स्थानों पर हमले की तैयारी करने सहित कई गंभीर आरोप हैं, जिसके कारण एजेंसियां इन सभी आरोपों के खिलाफ सबूत जुटा रही हैं। एजेंसियां डोजियर (आपराधिक रिकॉर्ड की फाइल) के आधार पर PFI के खिलाफ एक ठोस योजना तैयार कर रही हैं, जिसके आधार पर संगठन की गतिविधियों पर पूरी तरह से नकेल कसी जा सके।
टेरर फंडिंग को लेकर NIA की 13 राज्यों में छापेमारी, PFI के 106 सदस्य गिरफ्तार, विरोध में ‘NIA गो बैक’ के लगे नारे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने साल 2017 में PFI के खिलाफ पूरे आपराधिक रिकॉर्ड की फाइल तैयार की थी। जिसके आधार पर इस पर प्रतिबंध लगाने की योजना थी, लेकिन एजेंसियों और अधिकारियों की राय इसके लिए अलग-अलग थी, जिसके कारण PFI पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सका था।
जांच एजेंसियों ने इसी साल जून 2022 में PFI पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है, जिसमें बताया कि PFI को साल 2009 से अब तक मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए 60 करोड़ से अधिक रुपए मिले हैं, जिसमें 30 करोड़ रुपए नगद राशि शामिल है। इसके साथ ही देश में भी टेरर मॉड्यूल फैलाने के लिए फंड जुटाने का आरोप है। इसके अलावा PFI पर खाड़ी देशों से 500 करोड़ रुपए से अधिक फंड मिलने का भी आरोप है।