गौरतलब है कि सीतलवाड़ और श्रीकुमार की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई 21 जुलाई को खत्म हुई थी, लेकिन कोर्ट ने इसपर अपना फैसला 26 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने के एक मामले में कोर्ट ने 27,28 और 29 जुलाई तक के लिए फैसला टाल दिया था। आज 30 जुलाई को कोर्ट ने इसपर अपना फैसला दिया है जिससे तीस्ता और पूर्व आईपीएस अफसर को बड़ा झटका लगा है।
IPC की कई धाराओं में मामला दर्ज
एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अफसर आरबी श्रीकुमार दोनों ने ही अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है। सरकार ने इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। सीतलवाड़ और श्रीकुमार के अलावा पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट भी मामले में आरोपी हैं और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। इन तीनों आरोपियों को IPC की धारा 468 ( फर्जी कागजात बनाने),194 ( सजा से बचने के लिए गलत सबूत देना या बनाना) के तहत क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज किया है।
IPC की कई धाराओं में मामला दर्ज
एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अफसर आरबी श्रीकुमार दोनों ने ही अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है। सरकार ने इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। सीतलवाड़ और श्रीकुमार के अलावा पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट भी मामले में आरोपी हैं और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। इन तीनों आरोपियों को IPC की धारा 468 ( फर्जी कागजात बनाने),194 ( सजा से बचने के लिए गलत सबूत देना या बनाना) के तहत क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज किया है।
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SIT ने एफिडेविट में किया था बड़ा खुलासाबता दें कि 2002 के गुजरात दंगों से मामले में SIT ने अपने एफिडेविट में खुलासा किया था कि गुजरात में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत विभिन्न अधिकारियों और अन्य निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए तीस्ता सीतलवाड़ ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पूर्व राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल से 30 लाख रुपये लिए थे। इसके अलावा ये भी दावा किया था कि तत्कालीन मोदी सरकार को साजिश के तहत फँसाने के लिए तीनों का राजनीतिक दलों के साथ उठना-बैठना था।
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