इससे पहले शनिवार को अरविंद केजरीवाल गुजरात के जामनगर में व्यापारियों एवं उध्यमियों से बातचीत की थी। उन्होंने गुजरात के व्यापारियों को पांच गारंटी देते हुए कहा कि गुजरात में आप की सरकार बनी तो दिल्ली की तरह यहां भी रेड राज को खत्म कर व्यापारियों के लिए डर से मुक्त माहौल बनाएंगे। व्यापारियों को इज्जत देंगे और उन्हें सरकार में भागीदार बनाएंगे।
वहीं, गुजरात के चुनाव में आदिवासी वोट बैंक का काफी महत्व है। बता दें, गुजरात में 15 फ़ीसदी आदिवासी आबादी है जो राज्य की 27 सीटों पर ज्यादा प्रभाव रखती है। 2017 के विधानसभा चुनाव में छोटू बसावा की भारतीय ट्राईबल पार्टी ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं इस बार इस वोट बैंक को लेकर तीन प्रमुख दलों में खींचतान मची हुई है। इस बार कांग्रेस, भाजपा और आप तीनों पार्टियां आदिवासियों का दिल जीतने में लगे हुए हैं।
गौरतलब है की लंबे समय से आदिवासी मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस की तरफ बना हुआ है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी आदिवासी समुदाय की आरक्षित सीटों में से 14 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। मगर अब कांग्रेस अपनी पकड़ खोते जा रहे हैं क्योंकि भाजपा बहुत मजबूत आधार बना रही है। भाजपा आदिवासियों के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसीलिए भूपेंद्र पटेल सरकार में आदिवासी समाज चार मंत्री भी बनाये गए हैं।