मुख्य सचिव ने इस संबंध में सभी विभागाध्यक्षों, जिला उपायुक्तों, बोर्ड व निगमों के प्रबंध निदेशकों, कर्मचारियों, प्रशासनिक सचिवों तथा विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। हरियाणा सरकार के निर्देशों के बाद कर्मचारियों व अधिकारियों में हडक़ंप मच गया है। हालांकि वरिष्ठ अधिकारी तथा खुद मुख्यमंत्री इसे सामान्य कार्रवाई का हिस्सा करार दे रहे हैं।
हरियाणा सरकार ने अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए बाकायदा तीन पेज का प्रफॉर्मो तैयार करके भेजा गया है। इसी हिसाब से प्रदेश के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को अपनी चल-अचल व बेनामी संपत्ति का खुलासा करना होगा।
यही नहीं, उन्हें अपने परिवार के लोगों की संपत्ति की जानकारी भी सरकार को देनी होगी। हरियाणा सिविल सर्विस के नियम-24 के तहत यह जानकारी मांगी गई है। अधिकारियों व कर्मचारियों से कृषि भूमि के साथ-साथ शहरों, कस्बों व गांवों में प्लॉट, मकान, फ्लैट तथा दुकान/शोरूम आदि की संपूर्ण जानकारी मांगी है। कर्मचारियों को इस बात का भी खुलासा करना होगा कि उनके पास यह प्रॉपर्टी कहां से आई। कब खरीदी गई और इसकी कीमत कितनी है। गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी का भी खुलासा करना होगा। मकान-दुकान आदि प्रॉपर्टी से सालाना होने वाली आय के बारे में भी कर्मचारियों को सरकार को लिखित में सूचना देनी होगी।
पत्र में यह भी साफ किया गया है कि सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को अपनी ज्वैलरी के बारे में भी सरकार को बताना होगा। उन्हें यह बताना होगा कि कर्मचारी के खुद के पास सोने-चांदी या अन्य धातु के कितने आभूषण हैं और उसके परिवार के सदस्यों के पास कितनी कीमत की ज्वैलरी है।
चालू वित्त वर्ष में खरीदे गए आभूषणों के बारे में भी सरकार को सूचित करना होगा। इसी तरह से अधिकारियों व कर्मचारियों से उनके घर में मौजूद नकदी, बैंकों में जमा धनराशि, एफडी, इंश्योरेंस पॉलिसी आदि का विवरण भी देना होगा। अगर अधिकारियों व कर्मचारियों ने किसी तरह का लोन लिया है, तो इसके बारे में सरकार को सूचित करना होगा कि कितना लोन है और किस काम के लिए लिया गया।