कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि उसने रावत सरकार के बहुमत साबित करने की तारीख से दो दिन पहले राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश क्यों की? केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर ही राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। अगर ऐसा न होता तो राष्ट्रपति केंद्र की सिफारिश को वापस कर सकते थे।
रोहतगी ने राज्यपाल की ओर से केंद्र को भेजे उन पत्रों का हवाला दिया, जिसमें हॉर्स ट्रेडिंग का जिक्र किया गया था। कोर्ट में मुकुल रोहतगी ने कहा कि 35 विधायकों की मांग को स्पीकर नजरअंदाज नहीं कर सकते। विधायक वोट करना चाहते थे, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला। रोहतगी ने कहा राष्ट्रपति शासन लगाने की मुख्य वजह जानने का कोर्ट को हक है, लेकिन इस तथ्य को सार्वजानिक नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने केंद्र से कहा, प्यार और जंग में सब जायज राष्ट्रपति शासन को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र की ओर से पेश वकील अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि प्यार और जंग में सब जायज होता है। अटॉनी जनरल ने कहा कि हरीश रावत को अपनी स्थिति को बचाए रखने के लिए एक और मौका नहीं दिया जा सकता है।
कोर्ट ने यह टिप्पणी रोहतगी के बहस समाप्त करने के बाद की। इससे पहले रोहतगी ने कोर्ट को एक पेनड्राइव भी सौंपी, जिसमें एक स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो मौजूद है। इसमें हरीश रावत विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश कर रहे हैं।