संशोधित विधेयक के अनुसार राज्य में जबरन, कपट पूर्ण तरीके से अथवा विवाह के वक्त जाति छिपाने पर इसका खुलासा होने पर कड़ी सजा हो सकेगी। इसमें अब अधिकतम 10 वर्ष की कैद का प्रावधान किया गया है, वहीं जुर्माना भी बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया गया है। यही नहीं, धर्म परिवर्तन को सरकार ने अब गैर जमानती अपराध भी बना दिया है और इस तरह के मामलों की जांच सब इंस्पेक्टर के रैंक से नीचे के अधिकारी नहीं कर पाएंगे। संशोधन विधेयक में कहा गया है कि दो अथवा दो अधिक व्यक्तियों द्वारा एक साथ धर्म परिवर्तन करने पर उसे सामूहिक धर्म परिवर्तन माना जाएगा।
बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति से विवाह करने के लिए अपने धर्म को छिपाता है तो शिकायत मिलने पर अगर वह साबित हो जाता है तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कम से कम 3 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। वहीं इस सजा को 10 साल तक बढ़ाया भी जा सकता है। इसके अलावा कम से कम जुर्माने 50 हजार रुपये किया गया है जिसे एक लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। सामूहिक धर्म परिवर्तन करने पर दोषी पाए जाने वाले के खिलाफ कम से कम 5 साल की सजा का प्रावधान किया गया है और इस सजा को 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है। वहीं इसके साथ कम से कम डेढ़ लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है, जिसे दो लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
विधेयक में प्रावधान प्रस्तावित है कि कानून के तहत की गईं शिकायतों की जांच सब इंस्पेक्टर से नीचे दर्जे का कोई पुलिस अधिकारी नहीं करेगा। इस मामले में मुकदमा सत्र अदालत में चलेगा।
हिमाचल के धर्मांतरण कानून में प्रावधान है कि यदि कोई धर्म बदलना चाहता है तो उसे जिलाधिकारी को एक महीने का नोटिस देना होगा कि वे स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर रहे हैं। अगर कोई दोबारा से अपने मूल धर्म में आना चाहताहै तो उसे कोई पूर्व नोटिस नहीं देना होगा। वहीं, व्यक्ति धर्म परिवर्तन के बाद भी अपने मूल धर्म के तहत सुविधा प्राप्त नहीं कर सकता यह अपराध की श्रेणी में आता है। अगर कोई व्यक्ति सुविधाओं का लाभ उठाता है तो उसे दो साल की सजा का प्रावधान किया गया जसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है, जबकि जुर्माने को पांच हजार से एक लाख रुपये तक किया जा सकता है।
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