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2000 के नोट वापस लेने से क्या अर्थव्यवस्था को होगा नुकसान? जानिए बाजार पर क्या पड़ेगा असर

locationनई दिल्लीPublished: May 23, 2023 08:50:35 am

Submitted by:

Shaitan Prajapat

2000 Rupees Note: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक अहम फैसला लेते हुए 2000 रुपये के नोट वापस लेने का फैसला किया है। आरबीआई के इस फैसले के बाद अब सवाल उठता है कि 2000 हजार के नोट को वापस लेने के फैसले से भारत की अर्थव्यवस्था को कितना बड़ा नुकसान पहुंच सकता है?

2000 notes

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2000 Rupees Note: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 2000 रुपये के नोट को सर्कुलस से बाहर कर दिया है। RBI की ओर से ये भी कहा गया है कि इससे आम लोगों को परेशान होने बिल्कुल जरूरत नहीं है। इस बार की नोटबंदी 2016 की नोटबंदी से अलग है। ये नोटबंदी नहीं है, सिर्फ नोट रिप्‍लेसमेंट हैं। केंद्रीय बैंक ने एक बयान जारी कर कहा कि अभी चलन में मौजूद 2 हजार रुपये के नोट को 30 सितंबर तक वैध मुद्रा बने रहेंगे। आज यानी 23 मई से 2000 रुपए का नोट बदलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हालांकि लोगों को कुछ बातों को ध्यान रखना होगा वरना इनकम टैक्स से नोटिस आ सकता है। इस फैसले के बाद अब सवाल उठता है कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था को कितना बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। आइए जानते है एक्सपर्ट इस पर क्या कहते है।

आइए जानते हैं एक्सपर्ट की राय

अर्थशास्त्र के प्रोफेसर वरुण सिंह ने एबीपी न्यूज चैनल को बताया कि आरबीआई के इस फैसले से रियल एस्टेट और सोने जैसी महंगी चीज़ों की मांग बढ़ेगी। जिन लोगों के पास 2000 के नोट हैं वे गहनों और जमीन में इन्वेस्ट करेंगे। वहीं, इसके अलावा छोटे नोटों की मांग भी बढ़ने लगी है। पिछली बार 2016 में नोटबंदी में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था। माना जा रहा है कि लोग ज्यादा से ज्यादा पैसा रियल स्टेट और सोने चांदी जैसी चीजों में लगाएंगे।

आरबीआई के इस फैसले पर क्वांटिको रिसर्च की एक अर्थशास्त्री युविका सिंघल ने मिंट से बता करते हुए कहा कि इससे कृषि और निर्माण जैसे छोटे व्यवसाय प्रभावित हो सकते है। उन्होंने कहा कि आज भी कुछ जगहों पर डिजिटल ट्रांजेक्शन के मुकाबले लोग नकदी का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में उनको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अभी तक केंद्रीय बैंक और सरकार ने 2000 के नोट को चलन से बाहर करने का सही कारण नहीं बताया है। लेकिन आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले यह समझदारी का फैसला है। इन चुनाव में जनता को लुभाने और प्रचार में आमतौर पर नकदी का उपयोग बढ़ सकता है।

2000 के नोट बंद करने के फैसले पर एलएंडटी फाइनेंस होल्डिंग्स के समूह मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे नित्सुरे ने रॉयटर्स को बताया कि आरबीआई का यह फैसला कोई बड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था या मौद्रिक नीति पर असर नहीं पड़ने वाला है। इसके तर्क देते हुए कहा कि बीते कुछ सालों में देश में डिजिटल लेन-देन और ई-कॉमर्स का चलन काफी बढ़ गया है।

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बाजार पर होगा क्या असर

दो हजार रुपये के नोटबंद होने से बाजार पर क्या असर पड़ेगा, इसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे है। द हिंदू अखबार के रिसर्च रिपोर्ट की माने तो भारत में अभी करीब 3.7 लाख करोड़ रुपये के मूल्य के 2000 रुपये के नोट मौजूद हैं। उसका एक तिहाई नोट बैंकों में जमा होता है तो बाजार में नकदी बढ़कर 40 हज़ार करोड़ रुपये से लेकर 1.1 लाख करोड़ रुपये के बीच हो जाएगी। रिसर्च रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि अघोषित आय पर टैक्स बचाने के लिए कई लोगों ने 2000 रुपये के नोटों को जमा कर के रखा है। वे सभी लोग अब गहने खरीदने और रियल एस्टेट सेक्टर में लगाएंगे।

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क्यों की गई नोट की छपाई बंद

आरबीआई के अनुसार, 2000 रुपये के नोट को साल 2019 के बाद से ही छापना बंद कर दिया था। 2016 में हुई नोटबंदी के बाद इस बड़े नोट की छपाई शुरू हुई थी। आईबीआई एक्ट की धारा 24(1) के तहत आरबीआई ने इस नोट को जारी किया था। 2 हजार रुपये के नोट को बंद करने के निर्णय पर आरबीआई ने बताया कि ये फैसला नोटबंदी के बाद पैदा हुई ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था। केंद्रीय बैंक ने कहा कि ये उद्देश्य बाजार में अन्य नोट पर्याप्त मात्रा में आ जाने के बाद पूरा हो गया था। इसलिए दो हज़ार रुपये के नोट छापने बंद कर दिया था।

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