मोदी पुतिन मुलाकात
आज एकदिवसीय दौरे पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शाम 5:30 बजे हैदराबाद हाउस में वो प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे। ब्राजील में हुए ब्रीक्स सम्मेलन के दो साल बाद हो रही पुतिन और पीएम मोदी की मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। रूस और भारत एक दूसरे के गहरे मित्र माने जाते हैं और दोनों के बीच हथियार सौदों को काफी अहम माना जाता है।
दशकों से भारत को रूस हथियारों की आपूर्ति करता रहा है। आज जो मुलाकात होगी उसमें भी हथियारों को लेकर दोनों देशों के बीच चर्चा होगी जिसमें S 400 एयर डिफेन्स सिस्टम काफी अहम है। इस मुलाकात से दोनों देश अपने दोस्ती के संबंध को और मजबूत करने का काम करेंगे। हालांकि, S 400 एयर डिफेन्स सिस्टम को लेकर दोनों देशों के बीच सौदा पहले ही हो चुका है। आज दोनों देश सप्लाइ के लिए औपचारिक्ताओं को पूरा करेंगे जिससे भारत का डिफेंस सिस्टस और मजबूत हो जायेगा। बता दें कि आज की मुलाकात के बाद दोनों देश साझा बयान भी जारी करेंगे।
क्यों अहम है ये मुलाकात
दोनों देशों के बीच ये मुलाकात काफी अहम है क्योंकि कई बड़े सौदे दोनों देशों के बीच हो सकते हैं। इससे इंडो पेसिफिक क्षेत्र में चीन के खिलाफ भारत और मजबूत होगा।
क्या होगा दूरगामी असर
दोनों देशों के बीच इस मुलाकात से जहां एक बार फिर से रूस और भारत के संबंधों में मधुरता आएगी तो वहीं, चीन कमजोर होगा। जबकि अमेरिका भारत से नाराज हो सकता है क्योंकि उसकी चेतावनी को भारत ने हवा में उड़ा दिया है।
पूर्व राजनयिक मुकुल सानवाल के अनुसार, ‘हमारे साथ जो टेक्नॉलजी रूस ने साझा की है वो अन्य किसी देश ने नहीं की है। हमारे सभी रायफल से लेकर सबमरीन, रॉकेट और मिसाइल में आज अगर भारत इतना आगे बढ़ रहा है, तो उसमें रूस की भूमिका काफी अहम है।’ बता दें कि मॉस्को भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बना हुआ है।
अमेरिका नाराज, और चीन डरा हुआ है!
आज रूस और भारत के बीच ये मुलाकात छोटी है, परंतु काफी महत्वपूर्ण है। इस मुलाकात से अमेरिका और चीन टेंशन के कारण को समझते हैं:
बता दें पिछले कुछ वर्षों में भारत-अमेरिका के संबंधों में जो तेजी देखने को मिली है उससे दिल्ली-मास्को के बीच थोड़ी दूरी आई है। रूस भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती दोस्ती से चिंतित था। हालांकि, रूस कई अवसरों पर भारत के साथ तब भी दिखाई दिया है।
अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाने की चेतावनी को दरकिनार करते हुए आज भारत एस 400 के सप्लाइ के लिए औपचारिकता को पूरा करेगा। भारत ने इस कदम से ये संदेश दिया है कि वो किसी भी देश के समक्ष अपनी रक्षा नीतियों को लेकर नहीं झुकेगा।
वहीं, अमेरिका भले धमकी दे रहा, परंतु वो चाहकर भी भारत पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता है। अमेरिका-भारत के संबंध पहले से मजबूत हैं, क्योंकि दोनों पक्ष मानते हैं कि चीन सबसे बड़ा भू-राजनीतिक खतरा है। चीन से लड़ने के लिए अमेरिका को भारत का साथ चाहिए क्योंकि बिना भारत के अमेरिका इंडो पेसिफिक क्षेत्र में अपना प्रभाव नहीं जमा सकता है।