जब 27 नवंबर को 27 वर्षीय एक वेटनरी डॉक्टर की लाश जली हुई हालत में मिली थी। जांच के बाद पुलिस ने खुलासा किया था कि टोल प्लाजा से महिला डॉक्टर को अगवा कर चार आरोपियों ने उसके साथ गैंगरेप किया। फिर सबूत मिटाने के उद्देश्य से उसे जिंदा जला दिया था।
पुलिस की थ्योरी सामने आने के बाद लोगों में आरोपियों के खिलाफ भारी नाराजगी थी। इस बीच 6 दिसंबर को तड़के करीब 3 बजे पुलिस ने चारों आरोपियों को संदिग्ध एनकाउंटर में मार गिराया था। एनकाउंटर के संबंध में पुलिस वालों का तर्क था कि आरोपी पुलिस से हथियार छीनकर भागने लगे थे। जवाबी कार्रवाई में उनकी मौत हुई। लेकिन जानकारों ने पुलिस की इस थ्योरी को गलत बताया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित जांच आयोग को जांच का जिम्मा दिया गया था।
जानें कैसे दिशा के चारों आरोपियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया?
आज सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित आयोग ने इस इनकाउंटर को फर्जी माना है। आयोग ने एनकाउंटर में शामिल 10 पुलिसवालों को इसका दोषी बताया है और इनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की सिफारिश की है। सुप्रीम कोर्ट ने जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आदेश दिया है। साथ ही आगे की कार्रवाई के लिए मामला तेलंगाना हाई कोर्ट भेज दिया है।शुक्रवार को चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने रिपोर्ट को खोला। तेलंगाना सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने रिपोर्ट को फिलहाल गोपनीय रखने का अनुरोध किया। लेकिन कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया। चीफ जस्टिस ने कहा, "इसमें गोपनीयता की कोई बात नहीं। हमारे आदेश पर जांच हुई और कुछ लोगों को दोषी पाया गया। राज्य सरकार रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करे।