सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्यकांत व और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि शव को दफना दिए जाने के बाद कानून कहता है कि एक बार दफनाए जाने के बाद शरीर को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। अदालत सामान्य तौर पर इसकी अनुमति नहीं देगी जब तक कि यह नहीं दिखाया जाता है कि यह न्याय के हितों के लिए जरूरी है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शव निकालने की याचिका का किया विरोध
जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से वकीन तरुना अर्धेंदुमौली प्रसाद ने कहा कि मृतक एक आतंकवादी था, जिसका इस्लामी रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया था। शव को दफन किए 8 महीने बीच चुके हैं इसलिए शरीर सड़ गया होगा। अब शव को निकालने से कानून-व्यवस्था के लिए समस्या पैदा होगी। आपको बता दें कि आतंकी आमिर माग्रे नवंबर 2021 में दो साथियों के साथ एनकाउंटर में मारा गया था।
आतंकी आमिर माग्रे नवंबर 2021 में दो साथियों के साथ एनकाउंटर में मारा गया था, जिसके शव को राज्य सरकार के द्वारा दफन कराया गया था। जम्मू -कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने परिवार को उनके अधिकारों से वंचित करने की भरपाई के लिए 5 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। इस फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराते हुए इसका पालन करने को कहा है।
एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों के शव को सोंपने के लिए परिवार के सदस्यों ने श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें आतंकी अमीर माग्रे की पन्नी भी शामिल हुई थी।