सेना को यह अधिकार हथियारों और गोला बारूद के भंडार को जरूरी निर्धारित स्तर तक बनाए रखने के लिए दिए गए हैं। सेना उप प्रमुख को असीमित वित्तीय अधिकार होंगे और वह जरूरत के हिसाब से कितनी भी खरीद कर सकेंगे। मौजूदा सुरक्षा परिस्थितियों को देखते हुए सरकार के इस फैसले को बडा नीतिगत और महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है। पिछले काफी समय से यह महसूस किया जा रहा था कि सेना के जरूरत के अनुरूप हथियारों और गोलाबारूद का भंडार नहीं है और इस संबंध में लगातार मांग उठ रही थी।
सूत्रों के अनुसार इसके लिए मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति तथा रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद परिषद से मंजूरी लेने की भी जरूरत नहीं होगी। अभी तक पांच हजार करोड रूपए से अधिक की खरीद के लिए सुरक्षा मामलों की समिति से मंजूरी लेनी जरूरी थी।
सूत्रों ने बताया कि मौजूदा जरूरत को देखते हुए यदि इन अधिकारों का इस्तेमाल कर हथियारों और गोला बारूद की खरीद की जाये तो यह 40,000 करोड रूपये तक हो सकती है। अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि ये वित्तीय अधिकार राजस्व व्यय के तहत तथा मंत्रालय के बजटीय प्रावधानों के अनुरूप होंगे।