भारत को चीन-पाकिस्तान के प्रस्तावित मेगा आर्थिक गलियारा परियोजना के प्रति अपनी चिंता व्यक्त करने और विरोध दर्ज कराने के लिए प्रखर होने की जरूरत है। इस गलियारे को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरने की उम्मीद है।
भारत को चीन-पाकिस्तान के प्रस्तावित मेगा आर्थिक गलियारा परियोजना के प्रति अपनी चिंता व्यक्त करने और विरोध दर्ज कराने के लिए प्रखर होने की जरूरत है। इस गलियारे को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरने की उम्मीद है। एक पूर्व शीर्ष राजनयिक और मध्यस्थ ने यह जानकारी दी।
पूर्व भारतीय विदेश सचिव श्याम सरन ने कहा, ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में चीन क्या कर रहा है, यह चिंता का विषय है और हमें अपनी इस चिंता व नाराजगी को जगजाहिर करना चाहिए। इस संदर्भ में क्या हो रहा है या क्या हुआ है, इसके खिलाफ अपना विरोध दर्ज नहीं कराने का कोई कारण नहीं है।’
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और चीन के साथ सीमा वार्ताओं में शामिल रहे सरन ने कहा कि पाकिस्तान के साथ चीन का समझौता कहता है कि इस समझौते पर अंतिम निपटारा तभी होगा, जब भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद को सुलझा लिया जाएगा।
सरन ने इंडिया हैबिटेट सेंटर में ‘ओवरकमिंग हिस्ट्री : साइनो-इंडिया रिलेशंस’ विषय पर वार्ता के दौरान कहा, ‘यह कहना कि इस मुद्दे को उठाकर भारत संबंधों में बाधा उत्पन्न कर रहा है, यह कहना सही नहीं होगा। मुझे नहीं लगता कि भारत को चीन के साथ मुद्दों पर पीछे हट जाना चाहिए। संबंधों से निपटने का यह सही रास्ता नहीं है।’
उनके मुताबिक, भारत और चीन को नौसेना और समुद्री मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए, जो अविश्वास और संघर्ष के नए बिंदु हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को समुद्री मुद्दों पर बातचीत करने के लिए तैयार होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चीन की पनडुब्बियां श्रीलंका और अन्य हिंद महासागरीय देशों में बंदरगाह बना रहे हैं। जो भारत के लिए चिंताजनक है।
चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’ अभियान पर प्रतिक्रिया देते हुए सरन ने कहा कि भारत को इस पर खरी प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, बल्कि उसे यह कोशिश करनी चाहिए कि क्या भारत इस गलियारे को अपने लाभ के लिए इस्तेमाल कर सकता है। चीन का यह अभियान एक आर्थिक गलियारा एशिया, यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीकी देशों को जोड़ता है।