इस बात की जानकारी नौसेना अधिकारियों ने दी। तो वहीं राजनयिकों ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के माध्यम से बताया। जानकारी के मुताबिक, इस साल जनवरी महीने में ऑस्ट्रेलिया ने भारत के रक्षा मंत्री को चिट्ठी लिखकर अनुमति मांगी थी कि वह नौसेना के संयुक्त अभ्यास में बतौर परवेक्षक के रुप में जुड़ना चाहता है। लेकिन जिसे भारत ने मंजूरी नहीं दी।
हालांकि अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि इस प्रस्ताव पर रोक लगाने के बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया के नौसेना अधिकारियों को बंगाल की खाड़ी में होने वाले तीन देशों के युद्धाभ्यास देखने की अनुमति दे दी है।
एक तरफ भारत ने ऑस्ट्रेलिया के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है तो वहीं दूसरी तरफ भारत के साथ संयुक्त अभ्यास में भाग ले रहे अमरीका और जापान ने ऑस्ट्रेलिया का नेवी एक्सरसाइज में शामिल होने का समर्थन किया है। साथ ही कहा कि चीन की बढ़ती ताकत को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया साझेदार बनाकर कर संतुलन की बनाने की कोशिश की जा सकती है।
रायटर्स सूत्रों के मुताबिक, भारत इस बात से चिंतित है कि श्रींलका, पाकिस्तान और बांग्लादेश में बुनियादी ढ़ाचा तैयार कर रहा चीन इसके तैयार होने के बाद हिन्द महासागर के क्षेत्र में अपनी गतिविधियां तेज कर सकता है। जिस कारण भारत चारों ओर से घिर सकता है। जो कि उसके लिए चिंता का विषय है। भारत के नौसेना अधिकारियों का कहना है कि साल 2013 से लेकर अभी तक चीन हिन्द महासागर के इलाके में कम से कम छह पनडुब्बियों को तैनात कर चुका है। जो कि उसके पुराने सहयोगी देश पाकिस्तान और श्रींलका में बेड़ा डाले हुए है।
तो वहीं इस मामले पर नई दिल्ली स्थित ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में समुद्री अध्ययन विभाग के प्रमुख तथा भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी अभिजीत सिंह का कहना है कि भारत इस मामले में सावधानी बरतना चाहता है। साथ ही कहा कि भारत जानता है कि हिन्द महासागर के इस क्षेत्र में चीन अपनी गतिविधियों को बढ़ा दी है। और इसके बाद वह अपनी पनडुब्बियों की तैनाती को लेकर और भी बेझिझक हो सकता है। जो कि भारत ऐसा नहीं होने देना चाहता है।
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच इन दिनों रिश्तों में काफी खटास पैदा हुई है। एक तरफ धर्म गुरु दलाई लामा की यात्रा को लेकर चीन ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी तो वहीं हाल ही में सिंगापुर के साथ दक्षिण चीन सागर में भारत का नौसैनिक युद्धाभ्यास का भी चीन सख्त विरोध किया था। साथ ही कहा कि भारत विवादित मामले को लेकर बीच पड़ अपनी प्रतिबद्धता का पालन नहीं कर रहा है।