विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बयान जारी कर कहा, “हमने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की टिप्पणी को देखा जो उन्होंने तीस्ता सीतलवाड़ और 2 अन्य व्यक्तियों की गिरफ़्तारी पर की है। ये टिप्पणी पूरी तरह से अनुचित और भारत की स्वतंत्र कानून व्यवस्था में हस्तक्षेप है।”
कानूनी एक्शन को अवैध बताना अस्वीकार्य
इस बयान में आगे कहा कि “भारत में प्राधिकरण स्थापित न्यायिक प्रक्रियाओं के अनुसार कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाता है। इस तरह के एक्शन को उत्पीड़न के रूप में लेबल करना न केवल भ्रामक है, बल्कि अस्वीकार्य है।”
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क्या कहा था OHCHR ने?संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार एजेंसी ने अपने एक ट्वीट में कहा था, “हम तीस्ता सीतलवाड़ और अन्य दो पूर्व पुलिस अधिकारियों की गिरफ़्तारी को लेकर चिंतित हैं। उनकी तुरंत रिहाई की हम मांग करते हैं। जो 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों की मदद के लिए सक्रिय रहे उन्हें सताया नहीं जाना चाहिए।”
बता दें कि गुजरात दंगों से जुड़े मामले में झूठी जानकारी देने के आरोप में ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को शनिवार को गुजरात ATS मुंबई से गिरफ्तार किया था। इसके अलावा पूर्व आईपीएस अफसर आरबी श्रीकुमार भी पुलिस की गिरफ्त में हैं।