उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर कहा, “इस तरह के व्यवहार के प्रति जीरो टॉलरेंस है। किसी भी इंसान को इससे नहीं गुजरना चाहिए! हम स्वयं मामले की जांच कर रहे हैं, जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।”
मामला क्या है?
अभिनंदन मिश्रा नाम के एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, ‘बच्चे को हवाई अड्डे पर कार की सवारी करने में असहजता थी और बोर्डिंग गेट पर आने पर वह काफी तनाव में था। हालांकि, उसके माता-पिता को पता था कि कैसे संभालना है। इस दौरान इंडिगो स्टाफ की नजर बच्चे पर पड़ी और तीन सदस्य आए और परिजनों को चेतावनी दी कि वो उसे बोर्डिंग की अनुमति नहीं देंगे। बोर्डिंग शुरू होने से पहले बच्चे को उसके माता-पिता ने खाना खिलाया और जूस पिलाया। इसके बाद उसे दवाई दी और वो काफी नॉर्मल रहा। इसके बाद हमने इंडिगो के प्रबंधक की क्रूरता देखी जो पावर का दुरुपयोग कर रहे थे।’
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अभिनंदन मिश्रा ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, “इंडिगो स्टाफ ने घोषणा कर दी कि बच्चा बोर्डिंग नहीं कर सकता क्योंकि इससे अन्य यात्रियों को असुविधा होगी। इसके बाद अन्ययात्रियों ने विरोध किया तो प्रबंधक ने कहा कि ये बच्चा बेकाबू है ठीक नहीं है। इस दौरान एक वरिष्ठ यात्री ने प्रबंधक के निर्णय का विरोध किया। काफी तर्क वितर्क किया लेकिन परिवार उस फ्लाइट से उतरना पड़ा।”OAG की रिपोर्ट में दुनिया की सबसे बड़ी 20 एयरलाइंस की लिस्ट में छठी सबसे बड़ी कंपनी बनी IndiGo
इंडिगो ने दी सफाईहालांकि, रविवार यानि कि 8 मई को बच्चा और उसका परिवार गंतव्य स्थान पर पहुंचा दिया गया। इस मामले के बढ़ने पर इंडिगो ने सफाई दी है और कहा है कि ‘बच्चा घबराया हुआ था। यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए 7 मई को दिव्यांग बच्चा परिवार के साथ उड़ान नहीं भर सका क्योंकि वो पैनिक अवस्था में था। ग्राउन्ड स्टाफ ने उसके शांत होने तक का इंतजार किया लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।’
इंडिगो ने कहा, ‘भेदभावपूर्ण व्यवहार की बजाय समावेशी होने पर गर्व है चाहे वो कर्मचारी के लिए वो या कस्टमर के लिए।’