अब हम अपने मुख्य मुद्दे पर आते हैं कि आखिर 1 मई को ही क्यों अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है? इसे जानने के लिए हमें इतिहास में लगभग 125 साल पीछे जाना होगा
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अमेरिका, यूरोप विकसित देश हैं। अब जब लोग विकसित होंगे वहां पर उद्योग, धंधे भी लगेंगे, फलस्वरूप वहां मजदूरों की आवश्यकता भी पड़ेगी। लेकिन उस दौर में मजदूरों से 15 से 20 घंटे काम लिया जाता था। जिसके बदले में उन्हें बहुत ही कम ज्यादा मेहनताना दिया जाता था। इसी को लेकर 1 मई 1886 को अमेरिका के मजदूर संघ ने हड़ताल की घोषणा की और अमेरिका की सड़कों पर उक्त मुद्दे को लेकर आंदोलन करने लग गए।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अमेरिका, यूरोप विकसित देश हैं। अब जब लोग विकसित होंगे वहां पर उद्योग, धंधे भी लगेंगे, फलस्वरूप वहां मजदूरों की आवश्यकता भी पड़ेगी। लेकिन उस दौर में मजदूरों से 15 से 20 घंटे काम लिया जाता था। जिसके बदले में उन्हें बहुत ही कम ज्यादा मेहनताना दिया जाता था। इसी को लेकर 1 मई 1886 को अमेरिका के मजदूर संघ ने हड़ताल की घोषणा की और अमेरिका की सड़कों पर उक्त मुद्दे को लेकर आंदोलन करने लग गए।
अमेरिका के शिकागो पर यह आंदोलन उग्र रूप ले चुका था और सैकड़ों की संख्या में मजदूर वर्ग के लोग इससे जुड़ चुके थे और मजदूर संघ की मांग थी कि काम के घंटे 8 घंटे ही होने चाहिए, इससे ज्यादा काम करवाना बेगार है। लेकिन इसी दौरान शिकागो में एक बम धमाका हो गया और कुछ जगह गोली चल गई जिसके कारण 100 से ज्यादा मजदूर लोग मारे गए।
यह अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस इन्हीं शहीद हुए 100 लोगों की याद में पूरे विश्व भर में मनाया जाता है। आपको बता दें 1 मई 1886 में शुरू हुए इस आंदोलन के बाद 1889 अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक हुई और इस बैठक में फैसला लिया गया कि मजदूर केवल 8 घंटे ही काम करेंगे। इसके अलावा 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया। इसके अलावा इसे मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है। तो अब आप समझ ही गए होंगे कि अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 1 मई को क्यों मनाया जाता है।
यह अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस इन्हीं शहीद हुए 100 लोगों की याद में पूरे विश्व भर में मनाया जाता है। आपको बता दें 1 मई 1886 में शुरू हुए इस आंदोलन के बाद 1889 अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक हुई और इस बैठक में फैसला लिया गया कि मजदूर केवल 8 घंटे ही काम करेंगे। इसके अलावा 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया। इसके अलावा इसे मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है। तो अब आप समझ ही गए होंगे कि अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 1 मई को क्यों मनाया जाता है।
भारत के परिपेक्ष में बात करें तो इसकी शुरुआत भारत में 1 मई 1930 को हुई थी। भारत में से सबसे पहले भारत लेबर किसान पार्टी ने मद्रास में एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया था (मद्रास का नाम अब चेन्नई हो चुका है।)
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