7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बदल गई फिजां – पहले चरण के मतदान को तैयार जम्मू-कश्मीर

Jammu Kashmir Election 2024: आतंक सुदूर जंगलों और घाटियों में सिमटा, पढें वरिष्ठ पत्रकार दौलत सिंह चौहान की स्पेशल रिपोर्ट

3 min read
Google source verification

Jammu Kashmir Election 2024: कश्मीर घाटी में पहले चरण में जिन 16 विधानसभा सीटों पर मतदान 18 सिंतबर को होने वाला है, उनमें से कई आतंक से बुरी तरह प्रभावित रह चुकी हैं। लेकिन वर्तमान में इन सीटों के इलाकों के सघन दौरे में कहीं डर का नाम-ओ-निशान तक दिखाई नहीं दिया। लोग खुल कर बात भी कर रहे हैं, लेकिन यह भी कह दे रहे हैं कि कहीं हमको उठा तो नहीं लिया जाएगा। फिर खुद ही हंस देते हैं। वे कहते हैं, हर बार चुनाव से पहले होने वाली पकड़-धकड़ इस घड़ी तक तो नहीं हुई है। घाटी में शांति और बड़ी संख्या में देशभर से सैलानियों की आवाजाही ने घाटी की फिजां और लोगों को मूड बदला है। वे खुश हैं कि उन्हें भयमुक्त वातावरण में वोट करने का मौका मिल रहा है और वे इसका पूरा फायदा उठाएंगे।

चाहे केसर से महक रहा पम्पोर हो, या आतंकी के पोस्टर बॉय रहे बुरहान वानी के गांव वाला त्राल, या धमाके में 40 से ज्यादा सीआरपीएफ जवानों की मौत का गवाह पुलवामा, आतंकियों की सैरगाह शोपियां या लेफ्टिनेंट उमर फयाजा के गांव वाला कुलागाम या फिर अमरनाथ यात्रा का द्वार पहलगाम, कहीं लेश मात्र भी खटका महसूस नहीं हुआ। जिस कश्मीरी से बात की वह आत्मीयता और गर्मजोशी के साथ पेश आया। मन में कसक हालांकि विरले ही छिपा पाए पर चुनाव को लेकर उत्साह खुल कर दिखाया।

चुनाव प्रचार का धूम-धड़ाका

चुनाव लड़ रही पार्टियों के राष्ट्रीय और राज्य स्तर के नेता ही नहीं खुद प्रत्याशी और उनके प्रचार में जुटा आम कश्मीरी बेधड़क अपना काम कर रहा है। नुक्कड़ मीटिंग्स हो रही हैं। लोग घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। होर्डिंगस, पोस्टर-बैनर, झंडे-झंडियां, फर्रियां हर तरफ नजर आने लगी हैं। गांव में भौंपू प्रचार भी हो रहा है। डोडा में शनिवार को प्रधानमंत्री ने कहा कि आंतकवाद अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। इसकी ताईद कई लोगों ने भी की। पम्पोर के बस स्टैंड पर मिले अब्दुल गनी ने कहा, अब इक्का-दुक्का वारदातें हो भी रही हैं तो जम्मू रीजन में डोडा, पुंछ, राजौरी के सुदूर जंगलों में। कश्मीर घाटी में तो पूर्ण शांति है।

शांति के दूत बने हैं हमारे जवान

जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग हो या छोटे सड़क मार्ग, राजधानी श्रीनगर हो या फिर छोटे गांव-कस्बे हर जगह सुरक्षा बलों के जवान मुस्तैद हैं। प्रत्याशियों के साथ भी सुरक्षा में कमांडो तैनात हैं। जम्मू-श्रीनगर पर तो हर एक किलोमीटर के फासले पर जवान तैनात हैं। शहरों और गांवों तक में उनकी मौजूदगी लोगों में विश्वास का सबब बनी है।

मतदाता बोले- अमन सबसे अहम

पहलगाम पार्किंग स्टैंड पर साधन के इंतजार में खड़े बुजुर्ग गुल मोहम्मद ने कहा, अमन होना सबसे जरूरी था, जो काफी हद तक कायम हो गया है। कुलगाम, जहां आतंकियों की खासी सक्रियता रही, रविवार को आयोजित माकपा प्रत्य़ाशी मोहम्मद यूसुफ तीरगामी चुनावी रैली स्थल पर मिले आकिब और सोहेल बोले इस बार कोई चुनाव के विरोध में नहीं है। यहां पर सभा में आई बुजुर्ग महिला फातिमा का कहना था कि अब इंशा अल्लाह सब कुछ अच्छा होगा। कुलगाम से तो जमात के समर्थन से सायर राशी, पुलवामा में जमात के पूर्व नेता तलत मजीद चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं। जमात से जुड़े रहे लोग शोपियां और सोपोर में भी निर्दलीय रूप से लड़ रहे हैं। त्राल के एक गांव में अहमद शाह से जब पूछा कि कोई डर तो नहीं, तो पलट कर सवाल किया आप बताओ कहां है डर, आपको दिखा क्या। अनंतनाग में सरपंच गुल मोहम्मद बोले, उम्मीद है कि इस चुनाव के बाद शांति और पुख्ता होगी और राज्य में तरक्की की रफ्तार और तेज होगी। डोडा में खुर्शीद अहमद ने कहा कि बहुत खुशी की बात है चुनाव हो रहे हैं, दस साल नहीं हुए तो नुकसान हुआ। अब लोग अपनी बात कह सकेंगे। त्राल बस स्टैंड पर सरदार शांति सिंह से बात हुई तो बोले, लोगों में इस बार खूब उत्साह है, लोकसभा चुनाव में बना मतदान का रेकॉर्ड इस बार पक्का टूटेगा।