संसद में गतिरोध के लिए जहां विपक्ष सत्ता को दोष देता रहा, वहीं सत्ता पक्ष का आरोप था कि विपक्ष सदन नहीं चलने देना चाहता था।दोनों पक्षों के इस रवैये के कारण संसद की कार्यवाही पर खर्च होने वाले करोडों रुपये पूरी तरह से बर्बाद हो गए।उड़ीसा की केंद्रपारा लोकसभा से सांसद पांडा ने ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी, जिसे दो हजार से ज्यादा लोगों के द्वारा री-ट्वीट किया जा चुका है।
इन्हीं वजहों को देखते हुए बीजेडी सांसद जय पांडा ने सत्र के दौरान का अपना वेतन वापस करने का निर्णय लिया है।सांसद पांडा ने कहा कि इसको लेकर मेरी अंतररात्मा मुझे लगातार परेशान कर रही थी। हमें क्या करना चाहिए था और हम वो कर नहीं रहे हैं। इसके विरोध स्वरूप ही मैंने अपना वेतन वापस करने का निर्णय लिया है। पिछले 4-5 साल से मैं यह कर रहा हूं, हर सत्र के अंत में खराब हुए सत्र के दौरान की अपनी सैलरी वापस कर देता हूं।
इस सत्र में संसद के दोनों सदनों में एक-दो बिल को छोड़कर कोई महत्वपूर्ण कार्य हो ही नहीं पाया। सरकार और विपक्ष इसका ठीकरा एक-दूसरे के ऊपर फोड़ते रहे। इसको लेकर राज्यसभा के सभापति उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन भी काफी निराश नजर आए। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आड़वाणी तो इससे खासे व्यथित नजर आए और यहां तक कह दिया कि उनका मन इस्तीफा देने का कर रहा है।