बेबस पिताः न बेटा बचा और न जमीन
मिली जानकारी के अनुसार, घघरी निवासी नारायण यादव का 32 साल का बेटा योगेंद्र यादव कुछ दिन पहले ही रोजी-रोटी की तलाश में महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में गया था। उसने सोलापुर की एक कंपनी में मजदूरी का काम भी शुरू कर दिया था। जिससे उसके परिवार में खुशी का माहौल था। बीबी-बच्चों, पिता सहित अन्य लोगों को लग रहा था कि अब बेटे की कमाई से हमारे भी दिन बहुरेंगे। लेकिन समय ने इस परिवार को ऐसा कंगाल बनाया कि अब न तो बेटा बचा न जमीन।
सोलापुर में पड़ा बीमार, इलाज के दौरान मौत
दरअसल सोलापुर में मजदूरी के दौरान योगंद्र यादव बीते दिनों बीमार पड़ा। पहले उसने आस-पास के डॉक्टरों से इलाज कराया। फिर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हुआ। लेकिन उसकी जान नहीं बची। इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। योगेंद्र की मौत के बाद उसके पिता बेटे की लाश घर लाने की कोशिश में जुटे। उन्होंने योगेंद्र के साथियों के साथ-साथ कंपनी से मदद मांगी। लेकिन उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिली।
गांव वालों ने प्रशासन से मांगी मदद
ऐसे में उन्होंने अपनी जमीन बेच दी। जमीन के बदले मिले पैसे से उन्होंने एंबुलेंस रिजर्व किया और बेटे का शव घर मंगवाया। गढ़वा से सोलापुर की दूरी करीब 1500 किलोमीटर पड़ती है। इतनी दूर तक जाकर बेटे की लाश लाने के लिए पिता को जमीन बेचनी पड़ी।
मामले में स्थानीय लोगों ने प्रशासन से इस गरीब परिवार की मदद की गुहार लगाई है। संगमा के पूर्व मुखिया ने घटना को हृदय विदारक बताते हुए प्रशासन से सहयोग की अपील की है। पूर्व मुखिया ने बताया कि मृतक के दो छोटे बच्चे और पत्नी भी है। प्रशासन को चाहिए कि वे इस गरीब पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद करें।