नई दिल्लीPublished: Nov 20, 2022 10:29:01 am
Shaitan Prajapat
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, लंबे समय से हम अपने पेशे के युवा सदस्यों को गुलामों के रूप में देखते हैं। क्यों? क्योंकि हम ऐसे ही बड़े हुए हैं। हम अब युवा वकीलों को यह नहीं बता सकते कि हम कैसे बड़े हुए हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने बार के वरिष्ठ सदस्यों को अपने जूनियरों को निष्पक्ष रूप से पारिश्रमिक देने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया ताकि वे सम्मान का जीवन जी सकें। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "कितने वरिष्ठ अपने जूनियरों को अच्छा वेतन देते हैं? कुछ युवा वकीलों के पास कक्ष भी नहीं हैं। उन्होंने सोचा यदि आप दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, या कोलकाता में रह रहे हैं, तो एक युवा वकील को जीवित रहने में कितना खर्च आता है? उनके पास भुगतान करने के लिए किराया, परिवहन, भोजन के प्रयाप्त पैसे होना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा इसे बदलना चाहिए और पेशे के वरिष्ठ सदस्यों के रूप में ऐसा करने हमारी जिम्मेदारी है।