मामला सामने आने के बाद 21 सितंबर को कोलार पुलिस ने नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत ग्राम पंचायत सदस्यों और गांव के बुजुर्गों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया है। इन्हीं लोगों ने पंचायत में दलित परिवार पर जुर्माना लगाने का फरमान सुनाया था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि मंदिरों में प्रवेश पर कोई रोकटोक नहीं है, लेकिन उलेराहल्ली में अनुसूचित जाति समुदाय के लोग अभिशाप के डर से मंदिर में नहीं जाना चाहते हैं।
जानकारी के अनुसार मामला 9 सितंबर का है। उस रोज कोलार जिले के मलूर तालुक के उलरहल्ली गांव में भूतायम्मा मेला का आयोजन किया गया था। जब इस मेले के दौरान जुलूस निकाला जा रहा था, उस वक्त उसी गांव के दलित शोबम्मा का 15 साल का बेटा बाहर ही था। उसने जुलूस के दौरान एक खंभे को छू लिया जो सिद्धिरन्ना की मूर्ति से जुड़ा हुआ था। इसी बात से नाराज होकर गांव के बुर्जुगों और पंचायत सदस्यों ने दलित पर 60 हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया।
पंचायत ने जुर्माने के फरमान के दौरान यह भी कहा कि अगर फाइन नहीं भरा तो ‘गांव से बाहर निकाल दिया जाएगा।’मामले में कोलार के डिप्टी कमिश्नर वेंकट राजा ने कहा कि, बुधवार को मैंने पीड़ित परिवार से मुलाकात की। हमने उन्हें एक प्लॉट दिया है और कुछ पैसे भी ताकि वह घर बना सकें। हम शोबम्मा को सोशल वेलफेयर हॉस्टल में नौकरी भी दे रहे हैं। मैंने पुलिस को भी आरोपियों को गिरफ्तार करने के आदेश दिए हैं। मामले में पुलिस ने नारायणस्वामी, वेंकटेशप्पा और गांव के प्रधान के पति, और गांव के उपप्रधान के अलावा कुछ अन्य पर भी केस दर्ज किया है।
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इधर इस पूरे मामले में पर पीड़ित दलित शोबम्मा ने कहा कि ‘अगर भगवान हमें नहीं चाहते हैं, तो हम उनसे प्रार्थना नहीं करेंगे। हम अब से केवल डॉ. भीमराव अम्बेडकर की पूजा करेंगे।’ मिली जानकारी के अनुसार जिस गांव में यह घटना घटी वहां 75 से 80 घर हैं। इसमें से ज्यादातर परिवार वोक्कलिगा समुदाय के है। वहीं गांव में करीब 10 घर दलितों के भी हैं। जिसमें एक शोबम्मा का घर भी है।
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