स्कूल प्रिंसिपल को निलंबित करने के पीछे जो तर्क दिया गया है उसके मुताबिक बच्चों में राष्ट्रीय एकता भाव पैदा नहीं किया। दरअसल निलंबन आदेश कहा गया कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का कर्तव्य है कि वे राष्ट्रीय एकता की भावना पैदा करें।
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धार्मिक सहिष्णुता, प्रथाएं और परंपराएं होनी चाहिए। लेकिन प्रिंसिपल ने एक विशेष जाति के बच्चों के लिए अलग से अनुमति देकर जातिगत भेदभाव को बढ़ावा दिया है।
निलंबन आदेश में ये भी कहा गया है कि छात्रों को कक्षाओं में से एक में नमाज अदा करने की अनुमति देकर एक विभाजनकारी मानसिकता पैदा होती है। स्कूल की प्रिंसिपल को इस तरह के कदम नहीं उठाने चाहिए।
यही नहीं इसके साथ ही निलंबन के आदेश में और भी तर्क दिए गए हैं। इसमें आगे कहा गया कि शिक्षक का यह आचरण एक सरकारी कर्मचारी की गरिमा के अनुरूप नहीं है और कर्नाटक नागरिक आचरण नियम 1966, धारा 3 (1) (2) और (3) के खिलाफ है। इसलिए, शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
उमादेवी को अगले आदेश तक जांच लंबित रहने तक के लिए निलंबित कर दिया गया है। इतना ही नहीं उन्हें बिना अनुमति जिला मुख्यालय से बाहर नहीं जाने के लिए भी कहा गया है। बता दें कि करीब 20 छात्रों का एक क्लासरूम के अंदर नमाज अदा करने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
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