अपने दौरे के दौरान केसीआर ने पिछले साल कृषि कनून के खिलाफ प्रोटेस्ट के दौरान हुई किसानों की मौत पर अपनी संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा, ‘समस्या हर जगह होती हैं लेकिन हमारे पास जो समस्याएं हैं वो कहीं नहीं है। सवाल ये है कि आखिर क्यों हमारे किसानों को इतनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।’
उन्होंने आगे कहा, “जब सारा देश अन्न के लिए परेशान था तब हरित क्रांति लाकर पंजाब के किसानों ने देश का पेट भरा था।”
उन्होंने तेलंगाना के किसानों कि पूर्व की स्थिति पर भी प्रकाश डाला और कहा कि “तेलंगाना राज्य जब बना तब हमने राज्य में बिजली को सही किया और आज सभी को 24 घंटे मुफ़्त पूरी पावर दी जा रही है ताकि किसानों को सिंचाई और अन्य सुविधाओं में कोई परेशानी न हो।”
केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ‘राज्य सरकारें तो काम कर रही हैं लेकिन केंद्र दबाव डालता है कि बिजली पर मीटर लगाड़ो, MSP मत दो। हमें काफी कुछ सुनना पड़ता है, लेकिन हम अपने किसान भाइयों की सुविधा के लिए काम कर रहे हैं।’ उन्होंने किसी भी अन्याय के खिलाफ किसानों को आंदोलन अपना जारी रखने के लिए भी कहा।
वर्ष 2019 में ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए देश के कई राज्यों के दौरे पर निकली थीं। अब ममता की तरह ही केसीआर भी राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पकड़ में मजबूत करने के लिए कमर कस चुके हैं। वो गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस गठबंधन बनाने के लिए जुटे हुए हैं। वो पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वो केवल बीजेपी को हराने के उद्देश्य से किसी के साथ हाथ नहीं मिलाएंगे। इसके लिए वो देश के दौरे पर निकल चुके हैं।
कर्नाटक और महाराष्ट्र भी जाएंगे
चंद्रशेखर राव केवल पंजाब ही नहीं, बल्कि कर्नाटक भी जाएंगे। इससे पहले वो दिल्ली में कई राजनीतिक दलों के नेताओं से मिले थे। चंद्रशेखर राव ने रविवार को समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से भी मुलाकात की थी।
इसके बाद वो 26 मई को कर्नाटक जाएंगे और वहाँ एचडी देवगौड़ा से मिलेंगे। इसके बाद वो 27 मई को महाराष्ट्र जाएंगे और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे से मिलेंगे। यहाँ साईं बाबा से मुलाकात के बाद वो हैदराबाद लौट जाएंगे।
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केसीआर पर लगा दोहरे मापदंड का आरोपवहीं, तेलंगाना कांग्रेस ने राव पर किसानों को लेकर ‘दोहरे मापदंड’ का आरोप लगाया है। तेलंगाना कांग्रेस के प्रवक्ता दासोजू श्रवण ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने राज्य में 8000 से अधिक किसानों की आत्महत्या पर आंखें मूंद ली हैं।