डाक से भेजे गए तलाक को वैध बनाने की याचिका केरल और कर्नाटक उच्च न्यायालयों के पूर्व के आदेशों का हवाला देते हुए न्यायाधीश ने कहा कि पवित्र कुरान के अनुसार, तलाक किसी तर्कसंगत कारण के चलते दिया जाना चाहिए और इस्लामी कानून के अनुसार इससे पहले मैत्री के प्रयास किए जाने चाहिए।
याचिकाकर्ता ने डाक से तलाक देने को वैध करने की मांग की थी ताकि वह कानूनी तौर पर अपनी पत्नी को तलाक दे सके। हालांकि पत्नी ने दलील दी कि तलाक को कानूनी तौर पर मान्य नहीं माना जा सकता क्योंकि याचिकाकर्ता ने मुस्लिम कानून में वर्णित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया।
2012 में डाक के जरिए भेजा तलाक याचिका में अली फैजी ने कहा कि उसने 2012 में अपनी पत्नी को डाक के जरिए तलाक पत्र भेजा था, लेकिन उसकी पत्नी ने उसे स्वीकार नहीं किया। उसकी पत्नी का कहना था कि उसने पत्र में तलाक की कोई वजह नहीं बताई और ना ही ये मुस्लिम कानून के अनुासर ठीक है।
आपको बता दें कि कोर्ट द्वारा तलाक से जुड़ी अपील ठुकराने का यह मामला ऐसे समय में आया है जब कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने छह दिन तक तीन तलाक से जुड़े मसले पर सुनवाई करके अब फैसला सुरक्षित रख लिया है।