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केरल कोर्टः यौन उत्पीड़न की शिकायत पहली नजर में नहीं टिकेगी, जब महिला ने ‘यौन उत्तेजक’ पोशाक पहनी हो

locationनई दिल्लीPublished: Aug 17, 2022 11:53:38 am

केरल की एक अदालत ने यौन उत्पीड़न के एक मामले में लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन को अग्रिम जमानत दे दी है। खास बात यह है कि, कोर्ट ने जमानत देते हुए तर्क दिया है कि महिला उत्तेजक कपड़े पहने थी ऐसे में यौन उत्पीड़न की शिकायत नहीं मानी जाएगी।

Kerala Court: Sexual Harassment Complaint Will Not Prima Facie Stand When Woman Wearing Provocative Dress

Kerala Court: Sexual Harassment Complaint Will Not Prima Facie Stand When Woman Wearing Provocative Dress

केरल की एक अदालत ने की एक अदालत ने यौन उत्पीड़न के मामले में एक आरोपी को जमानत दे दी है। दरअसल कोर्ट ने कहा है कि, भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए के तहत अपराध प्रथम दृष्टया तब आकर्षित नहीं होता, जब महिला ‘यौन उत्तेजक कपड़े’ पहनी हो। ऐसे में लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन को कोर्ट ने इस मामले में अग्रिम जमानत दे दी। 74 वर्षीय आरोपी चंद्रन ने अदालत में अपनी जमानत अर्जी के साथ महिला की उत्तेजक तस्वीरें भी पेश की थीं। जिसके बाद सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी।
कोझिकोड सेशन कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी की ओर से जमानत आवेदन के साथ पेश की गई तस्वीरों से पता चलता है कि वास्तविक शिकायतकर्ता ने खुद ऐसे कपड़े पहन रखे थे, जो ‘यौन उत्तेजक’ हैं।
ऐसे में पहली नजर में धारा 354ए आरोपी के खिलाफ प्रभावी नहीं होगी।

जमानत देने के साथ ही कोर्ट ने यह भी अविश्वास व्यक्त किया कि, 74 वर्षीय शारीरिक रूप से अक्षम आरोपी वास्तविक शिकायतकर्ता को जबरदस्ती अपनी गोद में रख कर अश्लील हरकत कर सकता है।
कोर्ट ने कहा कि, धारा 354 के शब्दों से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि आरोपी की ओर से एक महिला का लज्जा भंग करने का इरादा होना चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि धारा 354ए यौन उत्पीड़न और उसके दंड से संबंधित है।

दरअसल अभियोजन पक्ष ने ये आरोप लगाया कि चंद्रन ने वास्तविक शिकायतकर्ता के प्रति मौखिक और शारीरिक रूप से यौन उत्पीड़न किया। जो एक युवा महिला लेखिका है और फरवरी 2020 में नंदी समुद्र तट पर आयोजित एक शिविर में शामिल हुई थी।

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इसके बाद कोयिलांडी पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए(2), 341 और 354 के तहत मामला दर्ज किया था।

वहीं जमानत की अर्जी जब सत्र न्यायालय के सामने आई तो आरोपी के वकील पी. हरि और सुषमा एम ने तर्क दिया कि, यह एक झूठा मामला है और आरोपी के खिलाफ उसके कुछ दुश्मनों ने बदला लेने के मकसद ये कहानी रची है।
इसके साथ ही यह भी तर्क दिया गया कि कथित घटना करीब 6 महीने बाद मामला दर्ज किया गया था और देरी का कारण अभियोजन पक्ष की ओर से साफ नहीं किया गया।


आरोपी के वकील की ओर से अदालत में शिकायतकर्ता महिला की कुछ तस्वीरें भी पेश की गईं जो सोशल मीडिया अकाउंट पर थीं।

वकील ने कहा कि, वास्तविक शिकायतकर्ता अपने प्रेमी के साथ घटना की जगह पर थी और कथित घटना के समय कई लोग मौजूद थे और किसी ने भी आरोपी के खिलाफ ऐसी शिकायत नहीं की।

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