न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने याचिका दाखिल करने वाले पीटर मायलीपरम्पिल को 6 हफ्ते यानी डेढ़ महीने के अंदर केरल राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (KLSA ) को एक लाख रुपए जमा करने का निर्देश भी दिया है।
यही नहीं कोर्ट अपने आदेश में कहा कि निर्धारित अवधि के अंदर अगर याचिकाकर्ता की ओर से राशि जमा नहीं कराई गई तो केएलएसए याचिकाकर्ता के खिलाफ राजस्व वसूली की कार्रवाई शुरू कर दे।
कोर्ट के समय की बर्बादी
केरल उच्च न्यायालय ने इस तरह की याचिकाओं को लेकर सख्त टिप्पणी भी की। कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिकाएं न्यायालय का समय बर्बाद करती है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ये भी काह कि लोगों और समाज को यह बताने के लिए जुर्माना लगाया जा रहा है कि इस तरह की तुच्छ दलीलें जो न्यायिक समय बर्बाद करती हैं, उन पर अदालत विचार नहीं करेगी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने प्रधानमंत्री की तस्वीर और टीकाकरण प्रमाण पत्र पर ‘मनोबल बढ़ाने वाले उनके संदेश’ पर जो आपत्ति जताई है, ऐसा करने की ‘देश के किसी नागरिक से अपेक्षा नहीं’ है।