scriptNudity पर केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी, कहा – नग्नता और अश्लीलता हमेशा एक दूसरे के पर्यायवाची नहीं, महिला को किया रिहा | Kerala High Court's comment on nudity said nudity and obscenity are not always synonymous woman released | Patrika News

Nudity पर केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी, कहा – नग्नता और अश्लीलता हमेशा एक दूसरे के पर्यायवाची नहीं, महिला को किया रिहा

locationनई दिल्लीPublished: Jun 05, 2023 04:17:57 pm

Kerala High Court’s comment केरल हाईकोर्ट ने नग्नता पर पर एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा, एक महिला का अधिकार है कि वह अपने शरीर को लेकर स्वायत्त फैसले ले सकती है। बच्चों का अपने शरीर को पेंट करने की अनुमति दे सकती है। यह कोई यौन क्रिया नहीं थी। और महिला को रिहा कर दिया।

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नग्नता पर केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी, कहा – नग्नता और अश्लीलता हमेशा एक दूसरे पर्यायवाची नहीं, महिला को किया रिहा

केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को अपने फैसले में कहाकि नग्नता और अश्लीलता हमेशा एक दूसरे पर्यायवाची नहीं होते। अधिकतर लोगों को उनके शरीर की स्वायत्तता के अधिकार से वंचित किया जाता है। महिला ने अपने शरीर पर पेंटिंग कराई और इससे सिद्ध नहीं होता कि यह कोई यौन क्रिया थी। इसके बाद केरल हाईकोर्ट ने महिला को पोक्सो के आरोपों से रिहा कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि महिला ने बच्चों को सिर्फ कैनवास की तरह अपने शरीर को पेंट करने की अनुमति दी। यह एक महिला का अधिकार है कि वह अपने शरीर को लेकर स्वायत्तता फैसले ले सकती है।


महिला पर थे पोक्सो के आरोप

महिला अधिकार कार्यकर्ता रेहाना फातिमा पोक्सो के आरोपों का सामना कर रही थी।। महिला पर आरोप है कि उसने एक वीडियो को साझा किया था, जिसमें वह अपने अर्द्धनग्न शरीर पर अपने नाबालिग बच्चों से पेंटिंग बनवाती नजर आ रही है। इस मामले में महिला के खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।
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हाईकोर्ट ने कहा, संविधान का अनुच्छेद 21 देती है इजाजत

केरल हाईकोर्ट की जस्टिस कौसर एदापगथ ने महिला को पोक्सो के तहत आरोपों से बरी करते हुए कहा कि यह संभव नहीं है कि बच्चे, किसी यौन क्रिया के तहत यह काम कर रहे थे। महिला ने बच्चों को सिर्फ कैनवास की तरह अपने शरीर को पेंट करने की अनुमति दी। यह एक महिला का अधिकार है कि वह अपने शरीर को लेकर स्वायत्तता के फैसले ले सकती है। यह उसके समानता और निजता के मौलिक अधिकार के तहत आता है। साथ ही संविधान का अनुच्छेद 21 भी उसे इसकी इजाजत देता है।

हाईकोर्ट ने महिला की दलील को सही माना

महिला ने केरल हाईकोर्ट में अपनी अपील में सवाल उठाया कि महिला के शरीर के ऊपरी हिस्से को कामुक बताया जाता है जबकि पुरुषों के साथ ऐसा नहीं होता। हाईकोर्ट ने महिला की दलील को सही माना। और बच्चों द्वारा मां के शरीर पर पेंटिंग करने को यौन क्रिया नहीं माना।

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