यह मांग सबसे पहले 1972 में देश के तीसरे मुख्य चुनाव आयुक्त एस पी सेन वर्मा ने की थी। इस बदलाव को लेकर वर्मा तत्कालीन केंद्र सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय को लिखा था और इसमें सुधार की मांग की थी। फिलहाल यह आयोग चुनाव सुधारों से जुड़े इन बदलावों को लेकर तेजी से आगे बढ़ने की तैयारी में है। हालांकि इनमें मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने वाले विषय को अगर छोड़ दें तो बाकी पर जल्द से जल्द अमल होगा।
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Punjab Elections 2022: सवर्णों को रिझाने की कोशिश में कांग्रेस, सामान्य वर्ग आयोग की दी मंजूरी राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद इन सुधारों में तेजी दिखेगी वही मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के काम में थोड़ा समय लगेगा। क्योंकि यह काम बेहद संवेदनशील है। ऐसे में यदि किसी का नाम दो जगह से जोड़ा जा चुका है, तो किसी भी एक जगह पर उसका नाम हटाने से पचले संबंधित व्यक्ति की राय ली जाएगी, वह दोनों में से जिस जगह को लेकर सहमति देगा उसका नाम वहीं से जोड़ा जाएगा।
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महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी कोटा के लिए विधेयक पारित चुनाव अधिकारियों के मुताबिक मौजूदा समय में मतदाता सूची में बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग जुड़े हुए हैं जो कई अलग-अलग जगहों से इस सूची में दर्ज है। वैसे तो इस दोहराव से निपटने के लिए चुनाव आयोग ने व्यवस्था बनाई है लेकिन नामों में अंतर होने के वजह से यह जल्दी से पकड़ में नहीं आते हैं। फिलहाल आधार कार्ड से जोड़ने से इसमें काफी आसानी होगी साथ ही वोटर लिस्ट भी पारदर्शी हो जाएगा। इस काम को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पूरे करने की तैयारी में इलेक्शन कमिशन पूरी तरह से जुटी हुई है।