राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पाँच वर्षों में 13 संसद सत्रों की अध्यक्षता की है। पहले पाँच सत्रों के दौरान प्रोडक्टिविटी केवल 6.80 फीसदी से 58 फीसदी के बीच रही। बाकी 8 सत्रों में 6 ऐसे सत्र रहे जिनमें प्रोडक्टिविटी में 76-105 फीसदी का सुधार देखने को मिला। नायडू के कार्यकाल के पाँच वर्षों के दौरान कई ऐसे महत्वपूर्ण और विवादित बिल पास हुए जो बाद में सरकार को वापस लेने पर विवश भी होना पड़ा तो कुछ ऐतिहासिक बन गए। इस दौरान संसद में काफी हंगामा भी देखने को मिला और प्रोडक्टिविटी में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। यही नहीं असंवैधानिक भाषा का इस्तेमाल करने और नियमों का पालन न करने पर कई सांसद इस दौरान सस्पेंड भी हुए।
हामिद अंसारी हंगामा होने पर सदन को तुरंत ही स्थगित करने के पक्ष में थे, जबकि नायडू बहस, चर्चा और निर्णय लेने और बाधित न होने के पक्ष में रहे हैं। वो सदन की गरिमा को बनाए रखने के लिए कोई भी सख्त निर्णय लेने से कभी पीछे नहीं हटे खासकर तब जब राजनीतिक दलों ने हंगामे के साथ साथ सदन को बाधित करने के पूरे प्रयास किये।
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नायडू के कार्यकाल में कई ऐतिहासिक बिल भी पास हुए हैं। इनमें जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019, और एसपीजी (संशोधन) अधिनियम जैसे प्रमुख बिल भी पास हुए जिनको लेकर देशभर में विभिन्न तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिली।
वेंकैया नायडू के कार्यकाल में NDA और विपक्ष के लिए राज्यसभा एक युद्धक्षेत्र के रूप में उभरा। सबसे अधिक विरोध जम्मू कश्मीर को लेकर सरकार के निर्णय को लेकर दिखने लगा था, लेकिन 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए मंजूरी देने में सदन की भूमिका काफी अहम रही थी। इसके बाद जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने वाला विधेयक पारित किया गया था। इस दौरान नायडू ने विपक्ष के विरोध के बावजूद सदन की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाए रखा।
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इसके बाद सबसे बड़ा विरोध वर्ष 2020 में 3 कृषि कानून को लेकर देखा गया जब इसे बिना किसी बहस के पारित कर दिया गया था। वर्ष 2021 में राज्यसभा के 12 सांसदों को मानसून सत्र के दौरान 11 अगस्त को हंगामे के बाद शीतकालीन सत्र के दौरान नियम 256 के तहत सभापति ने निलंबित कर दिया था। मानसून सत्र के दौरान सरकार और विपक्ष में भीषण झड़प के कारण सभापति ने ये निर्णय लिया था।
फ़ॉरेन कंट्रीब्यूशन (रेगुलेशन) अमेंडमेंट 2020, आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020, टैक्स एवं अन्य क़ानून बिल 2020, लेबर कोड बिल भी संसद में बिना बहस पास होने के बाद चर्चा में रहे थे।
हालांकि, कुछ ऐसे बिल भी रहे जिनकी सराहना हुई। Data Protection Bill, Criminal Procedure (Identification) Bill, 2022, Insolvency and Bankruptcy Code (Amendment Bill), 2021, Essential Defence Services Bill, 2021, Taxation Laws (Amendment) Bill उन्हीं में से एक थे।
नायडू के कार्यकाल के दौरान 3,525 प्रश्नों में से 936 के मौखिक रूप से जवाब दिए। नायडू ने अपने शासनकाल के दौरान शून्यकाल और विशेष उल्लेख के जरिए उठाए जाने वाले सभी मुद्दों पर चर्चा कर निपटा दिया था और ये एक रिकार्ड था। शून्यकाल भी एक तरह से प्रश्नकाल जैसा होता है जिसमें सांसद अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करते हैं बस अंतर ये है कि ये कार्यक्रम पहले से तय नहीं होते हैं।
उपराष्ट्रपति नायडू ने कई वैज्ञानिक संस्थानों का दौरा किया और कई नए रिसर्च और विकास से जुड़े प्रोजेक्ट्स का हिस्सा भी बन। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि शिक्षा नीति में मातृभाषा का इस्तेमाल बढ़ाया जाए। उन्होंने सांसदों को पिछले वर्ष पत्र लिखकर स्थानीय भाषाओं को प्रमोट करने की भी सलाह दी थी। उनका मानना था कि हर व्यक्ति के लिए मातृभाषा सीखना और समझना जरूरी है।
बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण मंच से लोगों को नियमों का पालन करने के लिए अनुरोध किया। वर्ष 2019 में कोमोरोस के राष्ट्रपति अजाली असौमानी ने देश के सर्वोच्च भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को ‘द ऑर्डर ऑफ द ग्रीन क्रिसेंट’ से सम्मानित किया था। आज उपराष्ट्रपति पद से हटने के बाद 1 त्यागराज मार्ग पर शिफ्ट हो जाएंगे। वो इस पद से हटने के बाद भी आम जनता से मिलते रहेंगे और संवाद करते रहेंगे।