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Modi 3.0: ममता दीदी के करिश्मे ने भाजपा को दिया झटका, पिछले चुनाव में खोई सीटें कर लीं हासिल

Modi 3.0: कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी भी टीएससी के लिए चुनौती बन रहे थे। उन्हें भी टीएमसी ने उनके गढ़ बहरामपुर सीट के चुनाव में ऐसा उलझाया कि पांच बार की सांसदी को ढेर कर दिया। टीएमसी के टिकट पर चुनाव लड़े पूर्व क्रिकेटर युसूफ पठान ने उन्हें हरा दिया। राज्य में कांग्रेस एक सीट पर सिमट कर रह गई। पढ़िए कानाराम मुण्डियार की विशेष रिपोर्ट...

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Modi 3.0: देश के लोकसभा चुनाव के नतीजों में पश्चिम बंगाल के जनादेश ने सभी को चौंका दिया। चुनाव का घमासान तो राजनीतिक दलों के बीच मचा था, लेकिन जनता खामोश थी और जनता ने जनादेश देखकर ऐसा करिश्मा दिखाया कि न केवल एग्जिट पोल अनुमान धरे रह गए बल्कि कई रणनीतिकार भी चौंक गए। तृणमूल कांग्रेस ने कुछ ऐसी सीटों पर भी जीत दर्ज कर ली, जहां संभावना कम थी। यानी टीएमसी ने असंभव को संभव कर दिया। टीएमसी की इस रेकॉर्ड जीत को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का ‘खेला’ या करिश्मा कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं।

देशभर में पीएम मोदी का नाम और भाजपा का धुआंधार प्रचार पश्चिम बंगाल में बेअसर हो गया। भाजपा ने ऐसी 6 सीटें खो दीं, जो पिछले चुनाव में भाजपा ने तृणमूल व कांग्रेस से छीन ली थीं। अब तृणमूल ने न केवल पुराना हिसाब चुकता कर दिया, बल्कि बंगाल में भाजपा के पैर पसारने के सपनों पर एक तरह से ब्रेक लगा दिया है। इसके अलावा जनादेश ने एक और संदेश भी दिया कि बंगाल में वो ही होगा, जो ममता दीदी चाहेगी।

पश्चिम बंगाल के कई क्षेत्रों में अलग-अलग चरण के मतदान के दौरान मैं कई लोगों से मिला और उनसे चुनाव के बारे में जानने की कोशिश की। लोगों से चर्चा की तो पता चला कि अन्य राज्यों की तुलना में बंगाल का चुनावी मिजाज कुछ अलग है। कई क्षेत्रों में लोगों की नब्ज टटोलने पर भी यह समझना मुश्किल रहा कि आखिर उनके मन में क्या चल रहा है। लोग किस दल के साथ हैं, किसे जिताएंगे। लोगों की खामोशी के चलते यहां के चुनाव में कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन टीएमसी ने अपनी रणनीति से चुनावी कैम्पेन पर फोकस रखा।

चुनाव प्रचार की दृष्टि से पूरे बंगाल में टीएमसी का दबदबा दिखा, लेकिन क्षेत्र में बेरोजगारी, उद्योग-धंधों की कमी, संदेशखाली क्षेत्र में महिला उत्पीडऩ, शिक्षक भर्ती घोटाला जैसी घटनाओं के बाद लग रहा था कि यह माहौल राज्य सरकार के खिलाफ हो सकता है। भाजपा ने भी ऐसे मुद्दों को लेकर टीएमसी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी, पर चुनाव में चुप्पी रखने वाली जनता ने सभी मुद्दों को नकार दिया।

पिछले चुनाव का हिसाब लिया

जनता ने इस चुनाव में टीएमसी की झोली में पिछले चुनाव-2019 में जीती 22 के साथ खोई हुई 7 सीट समेत 29 सीटों पर बढ़त देकर सबको चौंका दिया। यहां गौर करने वाला पहलू यह रहा कि चुनाव कैम्पेन के दौरान टीएमसी ने पिछले चुनाव में भाजपा की जीती सीटों पर विशेष फोकस किए रखा। टीएमसी को पुराना हिसाब याद रहा कि वर्ष 2014 में दो सीट जीतने वाली भाजपा ने वर्ष 2019 में 18 सीटें जीत ली थीं। तब टीएमसी के लिए यह बड़ा झटका था। इस चुनाव में टीएमसी ने भाजपा को झटका देकर न केवल पुराना हिसाब चुकता किया, बल्कि अतिरिक्त सीटों पर भी सेंधमारी की।हालांकि इस चुनाव में भाजपा ने 12 सीटों पर बढ़त बनाई।