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लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने संबंधी विधेयक की जांच करने वाले संसदीय पैनल में 31 में से सिर्फ एक महिला

Published: Jan 03, 2022 02:18:47 pm

Submitted by:

Paritosh Shahi

इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहा जाए, जब महिलाओं के उत्थान को ध्यान में रखकर तैयार किए गए बिल की जांच के लिए 31 सदस्यीय संसदीय समिति में केवल एक महिला सांसद हो। इसी वजह से इस पर लगातार सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

marriage dates in 2022 hindu panchang

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लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के लिए बाद विवाह निषेध संशोधन विधेयक को जांच करने के लिए 31 सदस्य समिति में सिर्फ एक महिला सांसद को शामिल किया गया है। इस महिला संसद का नाम सुष्मिता देव है, जो तृणमूल कांग्रेस से संबंध रखती हैं। शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था। जिसकी विस्तार जांच के लिए संसदीय समिति के पास भेजा गया है। जब टीएमसी सांसद सुष्मिता से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मैं चाहती हूं समिति में और महिला सांसद होती तो ज्यादा अच्छा होता, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे सभी समूहों की बात पूरी तरह सुनी जाए। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने भी समिति में अधिक महिला सांसद होने की वकालत की।

 

गौरतलब है कि महिला उत्थान के लिए बनाए गए इस कानून के जांच के लिए 31 सदस्य संसदीय समिति में केवल एक महिला है, जिसके कारण इस मुद्दे पर सवाल उठना शुरू हो गया था। शिक्षा, महिला, बच्चा, युवा और खेल संबंधी संसद की स्थाई समिति राज्यसभा प्रशासक एक समिति है। इस समिति के अध्यक्ष बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनय सहस्त्रबुद्धे हैं। पार्टियां सदन में अपने सदस्यों के संख्या बल के आधार पर सदस्यों का चयन करती हैं। जून 2020 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित जया जेटली समिति की सिफारिश पर केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र बढ़ाई जा रही है जेटली ने कहा है कि यह उचित नहीं होगा यदि समिति का 50% हिस्सा महिला नहीं हो।

 

इस विधेयक को पेश किए जाने के बाद कुछ सदस्यों ने इसका जमकर विरोध किया और मांग की कि इसके अधिक जांच पड़ताल के लिए संसद की समिति को भेजा जाए। विधेयक में महिलाओं के विवाह के लिए कानूनी उम्र को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान है। जैसा कि पुरुष के लिए भी बनाया गया है।


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