जानकारी अनुसार आर्थिक विकास और राजकोषीय चुनौतियों के साथ-साथ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में आने वाले व्यवधानों पर चर्चा होगी। सूत्रों के अनुसार प्रमुख आर्थिक मंत्रालयों, मुख्य रूप से वित्त और वाणिज्य, को मुद्रास्फीति को कम करने के उपायों पर निर्देश दिए जाने की उम्मीद है।
विश्व बैंक की नई रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति पर भी चर्चा हो सकती है। क्योंकि खबरों के अनुसार, अगले साल दुनिया मंदी का सामना कर सकती है। देश को मंदी से बचाने के लिए इस बैठक में विकास और नए निवेश को और बढ़ावा देने के लिए नए लक्ष्य और समय सीमा तय करने की संभावना है।
कई राज्यों में चुनाव के साथ-साथ 2024 में आम चुनावों से पहले सरकार पर राजनीतिक दबाव भी बढ़ रहा है। विपक्षी दल कीमतों में वृद्धि और रसोई गैस सहित ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के मुद्दों पर सरकार को निशाना बनाते रहे हैं।
इसके अलावा मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत नए निवेश को आकर्षित करने और घरेलू उत्पादन के प्रयासों को फिर से जीवंत करने के तरीकों पर भी चर्चा होने की संभावना है।
यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब 2024 के लोकसभा चुनाव में महज 18 महीने बचे हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक का उद्देश्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों और राजनीतिक कार्यों की पहचान करना भी है।