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संसद में पुरज़ोर तरीके से उठी आवाज़, ‘फसल खराबे की चिंता में मर रहा किसान, सरकार जल्द माफ़ करे ऋण’

Published: Mar 20, 2017 02:47:00 pm

Submitted by:

Nakul Devarshi

किसानों की फसलें बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण बरबाद हो गई है। किसान ऋण चुकाने की स्थिति में नहीं है, इसलिए सरकार को उनके कृषि माफ करने चाहिए।

सूखा, ओलावृष्टि , बेमौसम बरसात और कीमतें गिरने की मार झेल रहे देशभर के किसानों के कृषि ऋण माफ करने की मांग सोमवार को राज्यसभा में जोर शोर से उठाई गई। 

कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने शून्यकाल के दौरान महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या का मामला उठाया और कहा कि जनवरी और फरवरी में 117 किसानों ने आत्महत्या की है। इन किसानों ने उपज के उचित दाम नहीं मिलने के कारण यह घातक कदम उठाया है। 
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण व्यापारियों के पास नकदी की कमी थी जिसके कारण किसानों को उनकी उपज के उचित दाम नहीं मिले। सरकार को उत्तरप्रदेश के साथ महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के किसानों के कृषि ऋण माफ करने चाहिए। 
कांग्रेस की रजनी पाटिल ने कहा कि लातूर और आसपास के किसानों की फसलें बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण बरबाद हो गई है। किसान ऋण चुकाने की स्थिति में नहीं है। इसलिए सरकार को उनके कृषि माफ करने चाहिए। 
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में पिछले एक साल में किसानों ने ऋण के दबाव में 3000 किसानों ने आत्महत्या की है। कांग्रेस के ही बीके हरिप्रसाद ने कर्नाटक में सूखे की मार झेल रहे किसानों का मुद्दा सदन में उठया और कहा कि सरकार को तुरंत मदद करनी चाहिए। क्षेत्र में मानसून विफल रहा है। 
उन्होंने किसानों के कर्ज माफ करने के अलावा राज्य के लिए विशेष पैकज की भी मांग की। तेलंगाना राष्ट्र समिति के विजय साई रेड्डी ने कहा कि आंध्रप्रदेश के किसान पिछले छह साल से सूखे की मार झेल रहे हैं। इस साल मानसून की बरसात नहीं हुई है जिससे संकट गहरा गया है। सरकार को तुरंत मदद करनी चाहिए। 
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