इसके लिए मौसम विभाग कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर देश प्रत्येक जिले में कार्यालय खोलेगा। यहां से संबंधित जिले के स्थानीय मौसम के बनते-बिगड़ते मिजाज के हिसाब से किसानों को खेती की सलाह दी जाएगी।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय मौसम विभाग के बीच हुए इसके लिए समझौता हुआ है। इसके मुताबिक जिलों में खोले गए कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ मौसम विभाग के वैज्ञानिक जोड़े जाएंगे। इनकी नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उसके साथ एक मौसम पर्यवेक्षक भी नियुक्त किया जाएगा।
इसके पहले चरण में देश के सौ जिलों को चयनित किया गया है। इसमें दस जिले अकेले उत्तर प्रदेश के लिए गए हैं। देश के कुल 660 जिलों में मौसम विभाग का यह कार्यालय बनाया जाना है, लेकिन 130 जिलों में पहले से ही केंद्र बनाए गए हैं। बाकी बचे 530 जिलों में नए केंद्र बनाए जाएंगे।
कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना जिला स्तर पर पहले ही की जा चुकी है। इनके साथ मौसम विभाग समन्वय करेगा। इन केंद्रों से क्लाइमेटिक जोन के आधार पर पूर्वानुमान और किसानों के लिए खेती की सलाह जारी की जाएंगी। जिला स्तरीय जलवायु के बारे में किसानों को जानकारी देने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है। इसकी तैयारियां तीव्र गति से हो रही हैं।
प्राकृतिक जोखिम से बच सकेंगी फसलें सभी किसानों को उनके मोबाइल फोन पर सुबह और शाम जानकारी दी जाएगी। उत्तर प्रदेश में अब तक डेढ़ करोड़ किसानों के मोबाइल नंबर जुटा लिए गए हैं। जिलेवार स्थानीय जरूरतों के हिसाब से जहां मौसम की जानकारी मिलेगी, वहीं खेती के बारे में हर रोज एडवाइजरी मिलने से किसान अपनी तैयारियां कर सकते हैं। इससे फसलों को प्राकृतिक जोखिम से बचाया जा सकता है। किसान उसी फोन पर अपने कृषि विज्ञान केंद्र से फसल में लगने वाले रोगों की सूचना भी दे सकते हैं।