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Modi Two Years: इन मुद्दों पर हुआ टकराव और बढ़ा हंगामा

Published: May 26, 2016 08:18:00 pm

Submitted by:

balram singh

मोदी सरकार के दो साल के शासन में कई ऐसे मुद्दे आए, जिन पर सड़क से संसद तक बहस के साथ हंगामा मचा, आइए नजर डालते हैं, मोदी के कार्यकाल के दौरान उठे कुछ खास मुद्दों पर-

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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के आज (गुरुवार) दो साल पूरे हो गए। एक ओर पूरी सरकार अलग-अलग माध्यमों से अपने उपलब्धियां गिनाने में जुटी है तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रैली कर pm मोदी से साफ कर दिया है उनकी पार्टी के टारगेट पर अब सबसे ऊपर उत्तर प्रदेश ही है। 
मोदी सरकार के दो साल के शासन में कई ऐसे मुद्दे आए, जिन पर एक ओर तो सड़क से संसद तक बहस के साथ हंगामा मचा, लेकिन दूसरी ओर उनको मुद्दों का pm नरेंद्र मोदी अपने ही ढ़ंग से उनमें से कई बातों का जवाब देते दिखाई दिए, तो कुछ को उन्होंने हमेशा के लिए टाल दिया है। आइए नजर डालते हैं, मोदी के कार्यकाल के दौरान उठे कुछ खास मुद्दों पर- 
1. pm मोदी के दो साल के कार्यकाल के दौरान डिग्री का मुद्दा खूब छाया रहा है। पहले तो मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की डिग्री पर को लेकर विपक्ष ने खूब सवाल उठाए। लेकिन सरकार इस पर बिल्कुल नहीं झुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो इस कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। लेकिन खुद स्मृति ईरानी ने इसका जोरदार तरीके से जवाब देने की कोशिश की। इसके बाद हाल ही में 
आम आदमी पार्टी ने भाजपा की प्रधानमंत्री की बीए और एमए की डिग्रियों की फर्जी और नकली बता डाला। आम आदमी पार्टी की ओर से कहा गया कि प्रधानमंत्री की बीए और एमए की डिग्रियों में दर्ज नाम में अंतर है। प्रधानमंत्री की डिग्री को विवाद के बीच बीजेपी ने भाजपा अध्यक्ष ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से माफी मांगने तक की बात कह डाली। 
2.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो साल के कार्यकाल के दौरान खेल की दुनिया को लेकर भी काफी विवाद हुआ। ढ्ढक्करु से सुर्खियों में आए ललित मोदी की मदद करने के आरोप में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और भाजपा नेत्री वसुंधरा राजे भी इस्तीफे की मांग हुई, लेकिन सरकार ने विपक्ष की इन सभी मांगों को दरकिनार कर दिया। दो साल के कार्यकाल के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली पर डीडीसीए के अध्यक्ष रहते हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। डीडीसीए मामले में खोजी पत्रकारों का साथ देने और इस पर संसद में बयान के बाद बीजेपी सांसद कीर्ति आज़ाद को बीजेपी से निलंबित कर लिया गया। वहीं, वित्त मंत्री अरुण जेटली पर लगे रहे आरोपों के बीच आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी उनके इस्तीफे की मांग करती रही। 
3. हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों की गतिविधियों के आरोप में दर्ज हुई स्नढ्ढक्र भी मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान काफी सुर्खियों में रहीं। रोहित वेमुला में प्रधानमंत्री नरेंद्र को लखनऊ में ज़बरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा। जिसके बाद वो वहां इस मामले को लेकर भावुक भी हुए। वहीं, संसद में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी दोनों ही मामलों में सरकार का पक्ष रखा। 
4. भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 में संशोधन के मुद्दे पर विपक्षी दल कांग्रेस के साथ टकराव हुआ। कई अध्यादेशों के बाद भी संशोधन विधेयक अभी तक लंबित है। जजों की नियुक्ति वाले कॉलेजियम सिस्टम को खत्म कर राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बनाने की कोशिश में न्यायपालिका से टकराव हुआ, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को हीअमान्य करार दिया। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के अपने नाम लिखे सूट पहनने पर खासा विवाद उठा। तब सूट की कीमत 10 लाख आंकी गई थी।
5. क्करू मोदी के दो साल के कार्यकाल के दौरान कथित बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में कई प्रतिष्ठित कलाकारों और लेखकों ने अपने अवॉर्ड भी वापस किए। उत्तर प्रदेश के दादरी में गोमांस रखने की अफवाह के बाद अख़लाक की मौत और बिहार चुनाव में बीफ का मुद्दा भी राष्ट्रीय स्तर पर बहस के केंद्र में रहा। एक ओर हिंसक घटनाएं सरकार की मुश्किलें बढ़ाईं बढ़ती रही हो तो दूसरी ओर टीवी कलाकार गजेंद्र चौहान को भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान की कमान सौंपने पर भी जमकर विवाद हुआ और छात्रों का आंदोलन काफी दिनों तक चला। 
6-साल 2016-17 के बजट के बाद ईपीएफ निकासी पर टैक्स विवाद भी हुआ । ब्याज दर घटाने संबंधी प्रस्ताव पर भी कर्मचारियों ने नाराजगी जताई तो बाद में प्रस्ताव वापस ले लिया गया। आभूषणों पर एक्साइज डय़ूटी बढ़ाने के प्रस्ताव पर सर्राफा कारोबारी का आंदोलन करते रहे, लेकिन सरकार अब भी अडिग है। वहीं, देशहित के खिलाफ काम करने का आरोप लगाकर 10,000 से ज्यादा गैर-सरकारी संगठनों (हृत्रह्रह्य) के लाइसेंस रद्द कर किए गए। जिसके बाद सरकार और गैर-सरकारी संगठनों (हृत्रह्रह्य) के बीच काफी तकरार हुई। ग्रीनपीस इंडिया का रजिस्ट्रेशन रद्द करने पर विवाद हुआ। संगठन की कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई को लंदन जाने से रोका गया।
इसके अलावा क्करू नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली हृष्ठ्र सरकार के दो सार के कार्यकाल के दौरान कई और भी मामले छाए रहे, जिसमें ताजा मामला वित्तमंत्री की ओर से दिया गया वो बयान भी है, जिसमें उन्होंने न्यायपालिका को खुद अपनी लक्ष्मणरेखा तय करने की नसीहत दी है।
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