मौसम विभाग ने बताया कि मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर मानसून के केरल तट पर 30 मई को पहुँचने की संभावना है। इस पूर्वानुमान में चार दिन आगे-पीछे हो सकता है। सामान्यत: यह 01 जून को केरल तट पर पहुँचता है और इसी दिन से देश में बरसात के मौसम की शुरुआत मानी जाती है।
विभाग की आेर से बताया गया है कि पिछले साल मानसून तय समय से एक सप्ताह की देरी से 08 जून को केरल पहुँचा था। इससे पहले, 14 मई को समय से तीन दिन पहले मानसून अंडमान की खाड़ी में पहुँच गया था और आज सुबह अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर भी पहुँच गया जहाँ उसके आने का नियमित समय 20 मई है।
राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र की प्रमुख सती देवी ने बताया कि उत्तर-पूर्व, पूर्व और दक्षिणी प्रायद्वीप में मानसून पूर्व गतिविधियाँ जोरों पर हैं जो मानसून के आगमन के लिए अच्छा संकेत है। उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह-10 दिन के दौरान उत्तर पूर्व भारत में भारी बारिश, गरज, छींटे तथा ओले पड़े हैं। इसके अलावा पूर्वी भारत में भी आँधी और बारिश हुई है। दक्षिण में केरल के तट से दूर के इलाकों और कर्नाटक में भी मानसून पूर्व गतिविधियों में तेजी आर्इ है।
उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में आम तौर पर मानसून पूर्व गतिविधियाँ बहुत ज्यादा नहीं होतीं। यहाँ आम तौर पर आँधी ही देखी जाती है। उनका कहना है कि मौसम विभाग द्वारा दीर्घावधि औसत के 96 प्रतिशत बारिश के साथ मानसून के सामान्य रहने के पूर्वानुमान में अभी कोई बदलाव नहीं है।
उन्होंने बताया कि मानसून के पूर्वानुमान के लिए मुख्य रूप से छह मानकों को ध्यान में रखा जाता है। इनमें उत्तर-पश्चिम भारत में न्यूनतम तापमान, दक्षिणी प्रायद्वीप में मानसून पूर्व बारिश, दक्षिण चीन सागर से निकलने वाले लंबे तरंग दैर्ध्य वाले विकिरण, दक्षिण पूर्वी हिंद महासागर के ऊपर निचले क्षोभमंडल की हवा, पूर्वी भूमध्य रेखा के पास हिंद महासागर के ऊपर क्षोभमंडल की ऊपरी भाग में हवा और दक्षिण-पश्चिम प्रशांत क्षेत्र से निकलने वाले लंबे तंरग दैर्ध्य वाले विकिरण शामिल हैं।